
Sahebganj : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से ही अपने हक की लड़ाई लड़ता रहा है, इसका जीता जागता उदाहरण भोगनाडीह से प्राप्त होता है, जहां के अमर वीर शहीद सिदो-कान्हू ने अंग्रेजों से आदिवासी समाज के हितों कि रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहूति दी. वे आज हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना के बाद लोगों को संबोधित कर रहे थे.
जल-जंगल-जमीन को बचाने में अहम भूमिका
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश में अपनी अलग पहचान बनायी है. इतिहास के अनेक कहानियों में इन्होंने अपनी छाप छोड़ी है. आदिवासी समुदाय ने समाज के प्रति कर्तव्य का पालन कर अपना अलग स्थान बनाया है. यह समाज जल-जंगल-जमीन को बचाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है.


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आदिवासी नेताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ी थी
मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वी के बनने के बाद सबसे पहले जमीन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में दिखी थी. डायनासोर युग के भी कुछ अवशेष यहां प्राप्त होते हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज शुरुआत से ही अपने हितों की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं.
आज से कई सौ साल पहले ही फूलो-झानो, चांद-भैरव, सिदो-कान्हू जैसे आदिवासी नेताओं ने अपने हक की लड़ाई लड़ी थी और समाज के हित के लिए लोगों को एकजुट किया था.
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मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर अमर शहीद सिदो-कान्हू द्वार का उद्घाटन किया. इसके उपरांत अमर शहीद सिदो कान्हू के आवास पर स्थित प्रतिमा का माल्यार्पण किया तथा उनके वंशजों से मुलाकात की एवं उन्हें उपहार भेंट किया. मुख्यमंत्री ने उनके वंशजों द्वारा दिये गये ज्ञापनों पर संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया.
इसके बाद मुख्यमंत्री ने हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह के अमर शहीद सिदो-कान्हू पार्क स्थित सिदो-कान्हू, फूलो-झानों एवं चांद-भैरव की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. इस अवसर पर राजमहल सांसद विजय कुमार हांसदा एवं जिला प्रशासन के पदाधिकारी एवं आम लोग उपस्थित थे.
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