
Ranchi : हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के द्वारा गठित गर्वनिंग बॉडी (जीबी) को लेकर हाइकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई. जस्टिस राजेश शंकर की पीठ में हुई सुनवाई में कोर्ट ने पिटीशनर की दलीलें सुनने के बाद विवि के वाइस चांसलर (वीसी) को निर्देश दिया कि वे पिटीशनर की बातों को सुन अगले तीन माह में अहम निर्णय लें.
बता दें कि पिटीशनर रामसेवक ने बीते वर्ष 20 मई को हुई गर्वनिंग बॉडी (जीबी) के निर्णय को गलत व पूरी तरह से गैर-कानूनी बताते हुए हाइकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी, जिसपर कोर्ट ने शुक्रवार को अहम निर्णय दिया.
पिटीशनर के वकील अभिषेक कृष्ण गुप्ता ने बताया है कि याचिका में रामसेवक ने बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद, विवि के डीन ऑफ स्टूडेंट वेलफेयर डॉ इंद्रजीत कुमार को पार्टी बनाकर एक याचिका दाखिल की थी.
याचिका में उन्होंने कहा था कि 18 मई 2020 को विवि के रजिस्ट्रार द्वारा गर्वनिंग बॉडी (जीबी) के गठन हेतु एक एक नोटिफिकेश जारी किया गया था. लेकिन गठन होने से पहले से दो दिन बाद यानी 20 मई को जीबी की मीटिंग बुला ली गयी, जो कि गैर-कानूनी थी.
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वहीं यह मीटिंग नये नियमों के तहत हुई थी या पुराने, इसकी जानकारी भी किसी को नहीं है. इससे बैठक में लिये गये सभी निर्णय भी पूरी तरह से गैर-कानूनी थे.
पिटीशनर रामसेवक का कहना है कि बैठक में वैसे निर्णय भी लिये गये, जो जीबी के क्षेत्राधिकार से बाहर के थे. इसमें रामसेवक की जगह दूसरे व्यक्ति को एक्टिंग प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त किया गया. बैठक में फंड निकासी को लेकर भी निर्णय लिये गये. सरकार के ट्रेजरी से लाखों रूपये की निकासी कर ली गयी, जो पूरी तरह से गलत वगैर-कानूनी था.
पिटीशिनर के मुताबिक इस मीटिंग की कोई वैधानिकता नहीं थी. यहां तक की एक आरटीआइ में कहा गया कि जीबी की मीटिंग 2020 के नॉटिफिकेशन के तहत नहीं की गयी है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्थानीय विधायक अंबा प्रसाद बैठक में किस हैसियत से शामिल हुई थीं.
पिटीशनर की मांग है कि विनोबा भावे विश्वविद्यालय ने जिस गर्वनिंग बॉडी (जीबी) को गठित किया था, वह पूरी तरह से गैर-कानूनी था. ऐसे में जीबी को निरस्त कर वीसी को एक नया एडोक जीबी गठन करने का निर्देश दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि पिटीशनर के रिप्रेजेंटेशन में वीसी अगले तीन माह में निर्णय लें.
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