
Ranchi : पेयजल और स्वच्छता विभाग की तरफ से रिक्त पड़े मुख्य अभियंता के पद को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. विभागीय प्रोन्नति समिति की बैठक के बाद तीन नाम मंत्री चंद्रप्रकाश चौधरी के पास भेजे गये हैं. इनमें प्रभारी अभियंता प्रमुख तनवीर अख्तर और पीएमयू के प्रभारी मुख्य अभियंता श्वेताभ कुमार और नवरंग सिंह का नाम शामिल है. अब मैनहर्ट को राजधानी के सिवरेज-ड्रेनेज प्रणाली का परामर्शी बनाये जाने के मामले में मदद करनेवाले अभियंता उमेश गुप्ता भी तेजी से दौड़ में शामिल हो गये हैं. फिलहाल ये क्षेत्रीय मुख्य अभियंता कार्यालय में पदस्थापित हैं.
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30 सितंबर के बाद विकास आयुक्त लंबी छुट्टी पर


सूत्रों का कहना है कि डीपीसी की बैठक के बाद जिन तीन नामों की सूची विभागीय मंत्री के पास भेजी गयी थी, उसमें से नवरंग सिंह का नाम कतिपय कारणों से हटा दिया गया है. तीसरा नाम जोड़ा गया है, जो और कोई नहीं उमेश गुप्ता से संबंधित है. डीपीसी की बैठक विकास आयुक्त डीके तिवारी की अध्यक्षता में हुई थी. 30 सितंबर के बाद विकास आयुक्त लंबी छुट्टी पर हैं. इसलिए इससे संबंधित अधिसूचना जारी नहीं हो पायी है. विभाग के अभियंता प्रमुख तनवीर अख्तर ने न्यूज विंग को बताया कि तीन नाम भेजे गये हैं. इस पर विभागीय मंत्री की सहमति होने पर ही आगे की कार्रवाई की जायेगी.




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विभाग में मुख्य अभियंता के हैं पांच पद
पेयजल और स्वच्छता विभाग में मुख्य अभियंता के पांच पद हैं. इसमें मुख्य अभियंता मुख्यालय, मुख्य अभियंता सीडीओ, मुख्य अभियंता पीएमयू और दो क्षेत्रीय मुख्य अभियंता (रांची, दुमका) का पद भी शामिल है. नियमित मुख्य अभियंता के रूप में फिलहाल क्षेत्रीय मुख्य अभियंता हीरा लाल प्रसाद और सृष्टिधर मोदी ही कार्यरत हैं. अभियंता प्रमुख तनवीर अख्तर भी प्रभारी मुख्य अभियंता हैं. इनकी सेवानिवृति की तिथि 31 जनवरी 2019 को है. इसलिए सरकार की तरफ से इन्हें नियमित मुख्य अभियंता बनाना जरूरी है, क्योंकि नियमित मुख्य अभियंता ही अभियंता प्रमुख होता रहा है.
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मैनहर्ट को परामर्शी बनाये जाने पर की थी मदद
राजधानी के सिवरेज-ड्रेनेज मामले पर मैनहर्ट को परामर्शी बनाये जाने पर निगरानी की तरफ से जो जांच रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपी गयी है. उसमें श्री गुप्ता पर कई आरोप की पुष्टि हुई है. इन पर जीकेडब्ल्यू कंसलटेंट, बर्चिल पार्टनर्स प्राइवेट लिमिटेड, टहल कंसलटिंग इंजीनियर्स लिमिटेड और मैनहर्ट प्राइवेट लिमिटेड में से मैनहर्ट को सर्वाधिक अंक देने की बातें सही पायी गयी हैं. तकनीकी मूल्यांकन में सर्वाधिक अंक देकर मैनहर्ट को निविदा में सफल बनाने के लिए तकनीकी समिति के उमेश गुप्ता और भवन निर्माण विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता केपी शर्मा का नाम निगरानी की जांच रिपोर्ट में उल्लेखित है.
क्वालिटी बेस्ड सिस्टम से मैनहर्ट का चयन कर, उसे परामर्शी बनाये जाने पर अत्यधिक अंक दिये जाने का फायदा मिला. निविदा को लेकर गठित तकनीकी उपसमिति के मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर मैनहर्ट को सफल कराया गया, जो निगरानी की रिपोर्ट में मूल्यांकन प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है. गुप्ता पर अन्य तीन फर्मों को जो अंक दिये गये, उसमें काफी भिन्नता भी जांच कमेटी ने पायी है.