
Ranchi : झारखंड स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार के बंदियों सरहुल नामक पत्रिका का प्रकाशन किया है. 86 पेज की पत्रिका में 17 कविताएं और नौ कहानियां शामिल हैं. सभी रचनाएं बंदियों के द्वारा लिखी गई है. रचनाओं में रचनाकारों में अपनी भावना व संवेदना को शब्दों के माध्यम से जाहिर किया है.
केंद्रीय कारा होटवार के सुपरिटेंडेंट हामिद अख्तर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पत्रिका में जेल प्रशासन की ओर से बंदियों के लिए किये गये मानसिक विकास के क्रिया- कलाप, खेलकूद व अन्य गतिविधियों को चित्रों के माध्यम से दर्शाया गया. यह चित्रण भी बंदियों के द्वारा ही किया गया है.
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विचाराधीन बंदी शबीहा शबनम अपनी कविता “जीवन में खुशहाली” के माध्यम से जीवन में पढ़ाई के महत्व को बताया है. उन्होंने बताया है कि किस प्रकार पढ़े लिखे लोगों के जीवन में खुशहाली रहती है, वे जग पर राज करते हैं. वहीं दूसरी ओर अनपढ़ लोगों की जगह-जगह पर जगहंसाई होती है. उन्हें हर जगह नुकसान ही नुकसान होता है. वहीं विचाराधीन बंदी जयंत कुमार राम ने अपनी कविता शासन दोष के माध्यम से भोले भाले लोगों को गलत काम काम में फंसा कर उनसे गलत काम करवाने और उनपर शासन करने के बारे में बताया है. वहीं सजावार बंदी डॉ गोविंद झा ने अपनी कहानी ” बेवकूफ को दो रुपइया दे देना, न उचित ज्ञान” के माध्यम से बताया है कि जिसके पास सोचने समझने की अपनी क्षमता ना हो, उसे हमेशा पैसों से दूर रखना चाहिए. क्योंकि विवेकहीन व्यक्ति धन का हमेशा ही दुरुपयोग करेगा, जिससे हमेशा ही गलत रास्ते पर जाएगा.




जेल में तैयार किए जा रहे हैं 10 हजार कंबल और चादर
जेल सुप्रीटेंडेंट हामिद अख्तर ने बताया कि जेल में बंद कैदियों के द्वारा करीब 10 हजार कंबल और चादर तैयार किए जा रहे है, जिसका वे खुद उपयोग करेंगे. इसके अलावा शेष कंबल और चादरों का वितरण वृद्धा और बाल आश्रम में किया जाएगा.