
Ranchi: रांची विवि बेहतर शैक्षणिक माहौल को लेकर कितना गंभीर है, इसे करमचंद भगत कॉलेज, बेड़ो के मामले से समझा जा सकता है. दरअसल करमचंद भगत कॉलेज, बेड़ो के तीन शिक्षक जाली सर्टिफिकेट देकर वर्षों तक काम करते रहे.
उनके वेतन का भुगतान भी होता है. इस मामले की जानकारी रांची विवि प्रशासन को है, इसके बावजूद विवि प्रशासन कार्रवाई करने से बचता रहा. जब मामला गंभीर हुआ तब कार्रवाई करने के नाम उनका वेतन रोक दिया गया.
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स्नातक में फेल हैं तीनों शिक्षक
करमचंद भगत कॉलेज बेड़ो में अंग्रेजी के शिक्षक उमेश नाथ तिवारी, अर्थशास्त्र के जमील असगर और राजनीति शास्त्र की प्रतिमा सिन्हा हैं. इन्होंने नियुक्ति के दौरान जाली सर्टिफिकेट देकर नौकरी पायी. लंबे समय तक काम भी किया. जब इनके जाली सर्टिफिकेट की बात विवि प्रशासन को पता चली तब विश्वविद्यालय की ओर से लगभग पांच साल पहले इस मामले में जांच कमेटी का गठन किया गया. जिसमें विश्वविद्यालय शिक्षक ही सदस्य थे.
इस कमेटी ने भी अपनी जांच में पाया कि उक्त तीनों शिक्षक ग्रेजुएशन में फेल हैं. जबकि पूर्व प्रो वीसी एम रजीउद्दीन को इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट मिलने के बाद लगभग ढाई साल तक पूर्व प्रो वीसी एम रजीउद्दीन अपने कार्यकाल में रहे. इसके बावजूद उन्होंने इस पर कार्रवाई नहीं की. वर्तमान में उक्त रिपोर्ट विश्वविद्यालय के लीगल सेल में है.
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कार्रवाई की मांग के बाद भी विवि चुप
रांची विश्वविद्यालय के कुछ कर्मचारियों ने इस मुद्दे पर समय-समय पर वीसी डॉ रमेश कुमार पांडेय को जानकारी दी. साथ ही कार्रवाई करने की भी मांग की. लेकिन रांची विश्वविद्यालय की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.
सिंडिकेट सदस्य अर्जुन राम ने बताया कि विश्वविद्यालय को इसकी जानकारी होते हुए ऐसे मामलों पर कार्रवाई न करना विश्वविद्यालय पर सवाल खड़ा करता है. इससे छात्रों का भविष्य भी खराब होगा. कम से कम छात्रों के भविष्य का ख्याल विश्वविद्यालय को करना चाहिए. गौरतलब हो कि आगामी 16 दिसंबर को सिंडिकेट की बैठक होनी है. जहां इन शिक्षकों पर कार्रवाई न करने का मामला उठाया जायेगा.