
New Delhi : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में पीएफ में ज्यादा पैसे डालनेवालों को झटका दिया है. जिन लोगों की सैलरी ज्यादा है वे लोग पीएफ में अपनी ओर से ज्यादा पैसे जमा कराते थे, जिसमें उन्हें टैक्स नहीं भरना होता था. इस बजट ने वो छूट खत्म कर दी है.
एक साल में 2.5 लाख रुपये से ज्यादा प्रोविडेंट फंड जमा करने पर मिलनेवाला ब्याज अब टैक्स के दायरे में आयेगा. इससे वे लोग सीधे तौर पर प्रबावित होंगे जिनकी सैलरी ज्यादा है.
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पहले भी आया था ऐसा प्रस्ताव
पीएफ पर टैक्स लगाने की कोशिश पहले भी हो चुकी है. साल 2016 के बजट में भी प्रस्ताव किया गया था कि ईपीएफ के 60 प्रतिशत पर अर्जित ब्याज को टैक्स के दायरे में लाया जाये, पर इस प्रस्ताव का काफी विरोध हुआ जिसके कारण इसे वापस ले लिया गया था.
2021 के बजट में यूलिप की धारा 10 (10डी) के तहत एक साल में 2.5 लाख रुपये से अधिक के प्रीमियम पर कर छूट को हटाने का प्रस्ताव किया गया है. हालांकि यह मौजूदा यूलिप पर लागू नहीं होगा, केवल इस साल 1 फरवरी के बाद बेची गयी पॉलिसी के लिए होगा.
उधर, 1 अप्रैल से नया वेज कोड भी आनेवाला है, जिसमें निर्धारित किया गया है कि बेसिक सैलरी व्यक्ति की कुल आय का कम से कम 50 प्रतिशत होना चाहिए. इसका मतलब है कि ज्यादा बेसिक सैलरी के साथ स्ट्रक्चर बदलेगा और ऐसे में अपने आप पीएफ में योगदान बढ़ेगा.
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