
Ranchi: अपने ही कार्यों की समीक्षा स्वयं करने का उदाहरण हैं डॉ दयानंद प्रसाद. जिला पशुपालन पदाधिकारी के पद से लेकर क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिणी छोटानागपुर और अन्य महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है.
सरकारी सेवा नियमावली के अनुसार डीवीओ से वरिष्ठ पद आरडी और अन्य के होते हैं. पर दयानंद प्रसाद के मामले में पिछली सरकार में नियमों को ताक पर रखते हुए उदारता बरती गयी. ऐसे में वे जिला पशुपालन पदाधिकारी के बतौर खुद ही निर्णय लेते हैं, खुद को ही कार्यादेश देकर आगे बढ़ाते हैं और अंतिम स्वीकृति भी स्वयं ही देते हैं.
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नियम विरुद्ध फैसले लिये गये
नियमतः किसी जिले में दवाओं का क्रय जिला पशुपालन पदाधिकारी के स्तर से किया जाता है. उनके ऊपर क्षेत्रीय निदेशक का नियंत्रण होता है. दयानंद प्रसाद के मामले में रघुवर सरकार में नियम विरुद्ध तरीके से फैसले लिये गये.
एक साथ जिला पशुपालन पदाधिकारी, रांची, सरायकेला एवं चाईबासा का पद संभालनेवाले एक पदाधिकारी को क्षेत्रीय निदेशक, रांची एवं कोल्हान का भी प्रभार सौंप दिया गया है. ऐसे में विभागीय स्तर पर उनका नियंत्री पदाधिकारी दयानंद प्रसाद स्वयं हैं.
नियम विरुद्ध दायित्वों के आवंटन के कारण पशुपालन विभाग आरोपों के घेरे में है. घोटालों की आशंका जाहिर की जा रही है. दयानंद प्रसाद पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के नजदीकी रहने और इसका लाभ उठाने की बात विभागीय पदाधिकारी भी चोरी छिपे कहते हैं.
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करते हैं पार्टी का प्रचार
श्री प्रसाद अपने #facebook profile से अब भी भगवा या भारतीय जनता पार्टी का प्रचार कर रहे हैं. #https://www.facebook.com/ahdskl पर इसे देखा जा सकता है. सीएम से नजदीकी का ही नतीजा है कि दयानंद प्रसाद को वरीयता के सभी नियमों को नजरअंदाज करते हुए उन्हें डीवीओ से उच्चतर पद क्षेत्रीय निदेशक, दक्षिणी छोटानागपुर, रांची मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी Jharkhand state implementing agency होटवार और निदेशक, पशु स्वाथ्य एवं उत्पादन संस्थान, कांके, रांची के पदों का प्रभार भी दे दिया गया है.
यह दिलचस्प है कि निदेशक, पशु स्वाथ्य एवं उत्पादन संस्थान, कांके, रांची के पद के लिए जो न्यूनतम अकादमिक योग्यता होनी चाहिए थी, वो इनके पास नहीं है.
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