
Ranchi: झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने केंद्र पर जनजातीय समुदाय के हक और अधिकारों पर अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है. पार्टी के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि झारखंड के आदिवासी-मूलवासी जो जंगल पर पूरी तरह से आश्रित हैं, इस कानून का असर झारखंड सहित देश के 20 करोड़ लोगों पर होगा. अगर इसे लागू ही करना है तो देश के इन 20 करोड़ लोगों को केंद्र एक साथ इच्छामुत्यु की अनुमति दे दे. श्री सुप्रियो शनिवार को पार्टी कार्यालय में मीडिया से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि पहले के वन अधिकार कानून 2006 में जंगल से जुड़ी हर बातों पर ग्राम सभा की अनुमति लेनी पड़ती थी. लेकिन इस नए कानून में ग्राम सभा की अनुमति सहित राज्यों पर जंगल के अधिकार को केवल औपचारिकता मात्र बना दिया गया है. जो गलत है. इसे लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिख कर वन संरक्षण नियम 2022 को लेकर आपत्तियां जतायी है. उन्होंने इसमें बदलाव लाने का आग्रह किया है.
झामुमो ने गिनाई नये कानून में निहित कई विसंगतियां
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इस कानून में इकोलॉजिकल इंपैक्ट का कोई जिक्र नहीं किया गया है. वहीं, नये कानून में जूलॉजिकल इंपैक्ट क्या होगा, इस कानून का जंगल में रहने वाले जीव-जंतु पर क्या असर होगा इसका उल्लेख नहीं किया गया है. इसके अलावा सामाजिक प्रभाव के बारे में भी किसी तरह का कोई जिक्र नहीं किया गया है. श्री सुप्रियो ने कहा कि इस मुद्दे से केवल झारखंड नहीं बल्कि जनजातीय और जंगल बहुल राज्य (छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र) भी प्रभावित होगा. झामुमो इस मामले को लेकर जनजातीय बहुल राज्यों से विचार-विमर्श करेगा.