
Sanjay Prasad: द नेशनल हेराल्ड (The National Herald) अखबार की काफी चर्चा है. ईडी ( ED) इस मामले में राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से पूछताछ कर रही है. साथ ही सोनिया गांधी से भी पूछताछ करने वाली है. जिस अखबार को लेकर आज गांधी परिवार कटघरे में है, वह अखबार कभी देश का मुखपत्र हुआ करता था. जवाहर लाल नेहरू द्वारा शुरू किए गए इस अखबार की भूमिका भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अहम रही. तो आइए जानते हैं इस अखबार के साथ ही इस विवाद के बारे में…
1938 में नेहरू ने शुरू किया
द नेशनल हेराल्ड, द एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा प्रकाशित एक भारतीय समाचार पत्र है. यह अखबार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की एक कंपनी यंग इंडिया लिमिटेड के स्वामित्व में है. इसकी स्थापना भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1938 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के एक उपकरण के रूप में की थी. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ब्रिटिश सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया था. यह ब्रिटिश राज के अंत के बाद भारत में प्रमुख अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्रों में से एक था. इसमें कभी-कभी नेहरू द्वारा लिखित ऑप-एड प्रकाशित होते थे. 2008 में वित्तीय कारणों से अखबार ने परिचालन बंद कर दिया था. 2016 में इसे एक डिजिटल प्रकाशन के रूप में फिर से शुरू किया गया था.
लखनऊ से शुरू हुआ था अखबार


नेशनल हेराल्ड की स्थापना 9 सितंबर 1938 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा लखनऊ में की गई थी. अखबार के मास्टहेड पर लिखा होता है-फ्रीडम इज इन पेरिल, डिफेंड इट ऑल योर माइट यानि आजादी खतरे में है, अपनी पूरी ताकत से इसकी रक्षा करें. यह कोट गेब्रियल के एक कार्टून से लिया गया था जिसे इंदिरा गांधी ने नेहरू को भेजा था. जवाहरलाल नेहरू अखबार के शुरुआती संपादक थे और प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति तक हेराल्ड के निदेशक मंडल के अध्यक्ष थे.




अंग्रेजों ने 1942 से 1945 के बीच अखबार का प्रकाशन बंद कर दिया
1938 में के.रामा राव को अखबार का पहला संपादक नियुक्त किया गया. अगस्त 1942 के भारत छोड़ो प्रस्ताव के बाद ब्रिटिश राज ने भारतीय प्रेस पर शिकंजा कसा और अखबार 1942 से 1945 के बीच बंद कर दिया गया. द हेराल्ड 1945 में फिर से शुरू हुआ और 1946 से 1950 तक फिरोज गांधी ने अखबार के प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया, जिससे इसकी वित्तीय स्थिति को बहाल करने में मदद मिली. 1946 से 1978 तक मणिकोंडा चलपति राव ने इसके संपादक के रूप में कार्य किया.
नेहरू ने कुछ समय के लिए अखबार के अंतरराष्ट्रीय संवाददाता के रूप में कार्य किया था. अखबार के संस्करण लखनऊ और नई दिल्ली से थे. नेशनल हेराल्ड के नवजीवन और कौमी आवाज नाम के हिंदी और उर्दू संस्करण भी थे.
1 अप्रैल 2008 को अखबार का प्रकाशन हुआ बंद
1 अप्रैल 2008 को अखबार का प्रकाशन बंद हो गया. संपादकीय विभाग ने घोषणा की कि अखबार का प्रकाशन अस्थायी रूप से बंद किया जा रहा है. अखबार प्रिंट तकनीक का आधुनिकीकरण करने में विफल रहा था. अखबार विज्ञापन राजस्व की कमी और ओवर स्टाफिंग के कारण कई वर्षों से घाटे में चल रहा था. इसके बंद होने के समय टी वी वेंकटचलम इसके प्रधान संपादक थे.
पुनरुद्धार की कोशिश
नेशनल हेराल्ड बंद होने से पहले एसोसिएटेड जर्नल्स द्वारा चलाया जा रहा था. पत्रकार सुमन दुबे, टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा और हेराल्ड हाउस में मुख्यालय वाली नवनियुक्त यंग इंडिया कंपनी के तहत अखबार को पुनर्जीवित किया गया. हालांकि, यंग इंडियन कंपनी के बोर्ड के सदस्य राहुल गांधी ने कहा कि यह एक गैर-लाभकारी कंपनी है और इसका कोई लाभदायक व्यवसाय नहीं हो सकता है.
मार्च 2016 में डिजिटल रूप में शुरू हुआ
मार्च 2016 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने मीडिया आउटलेट को डिजिटल रूप में पुनर्जीवित करने का निर्णय लिया. 1 अक्टूबर 2016 को इसने नीलाभ मिश्रा को नेशनल हेराल्ड ग्रुप के प्रधान संपादक के रूप में नियुक्त करने की घोषणा की. 14 नवंबर 2016 को एक अंग्रेजी वेबसाइट शुरू की गई थी. साथ ही यह भी घोषणा की गई कि प्रिंट प्रकाशन अर्थात् अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड, हिंदी में नवजीवन और उर्दू में कौमी आवाज को नियत समय में पुनर्जीवित किया जाएगा.12 जून 2017 को राहुल गांधी ने बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में नेशनल हेराल्ड को फिर से लॉन्च किया. भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी मुख्य अतिथि थे और उन्होंने कहा कि राज्य का कर्तव्य स्पष्ट है – स्वतंत्र समाज के लिए स्वतंत्र मीडिया आवश्यक है.
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के ही मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीज, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे पर घाटे में चल रहे नेशनल हेराल्ड अखबार को धोखाधड़ी और पैसों की हेराफेरी के जरिए हड़पने का आरोप लगाया था. आरोप के मुताबिक इन कांग्रेसी नेताओं ने नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों पर कब्जे के लिए यंग इंडियन लिमिटेड, यानी YIL नामक ऑर्गेनाइजेशन बनाया और उसके जरिए नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन करने वाली असोसिएटेड जर्नल लिमिटेड, यानी AJL का अवैध तरीके से अधिग्रहण कर लिया. स्वामी का आरोप था कि ऐसा दिल्ली के बहादुर शाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया था.स्वामी ने 2000 करोड़ रुपये की कंपनी को केवल 50 लाख रुपये में खरीदे जाने को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत केस से जुड़े कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मांग की थी.
अगस्त 2014 में ईडी ने लिया संंज्ञान
इस मामले में जून 2014 में कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत अन्य आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया. अगस्त 2014 में ED ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया. दिसंबर 2015 में दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी. अब ED ने इसी मामले की जांच के लिए सोनिया और राहुल को समन जारी किया है और पूछताछ कर रही है. 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नामक नया ऑर्गेनाइजेशन बना, जिसने नेशनल हेराल्ड को चलाने वाले AJL का अधिग्रहण कर लिया. YIL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल थे. YIL में सोनिया और राहुल की हिस्सेदारी 76 फीसदी थी और बाकी 24 फीसदी हिस्सेदारी मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी. मोतीलाल वोरा का 2020 और ऑस्कर फर्नांडीज का 2021 में निधन हो चुका है. इसके बाद कांग्रेस ने AJL के 90 करोड़ रुपए लोन को YIL को ट्रांसफर कर दिया.कांग्रेस का लोन चुकाने के बदले में AJL ने यंग इंडियन को 9 करोड़ शेयर दिए. इन 9 करोड़ शेयरों के साथ यंग इंडियन को AJL के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए. इसके बाद कांग्रेस ने AJL का 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया.