
Ranchi : आदिवासी समुदाय की पृथक पहचान को लेकर जारी धर्मकोड का आंदोलन अब झारखंड से निकलकर दूसरे राज्यों में भी फैल गया है. चार जनवरी को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के द्वारा सरना धर्म महासम्मेलन का आयोजन किया गया. इसमें धर्मगुरू बंधन तिग्गा समेत बड़ी संख्या में सरना धर्मावलंबी शामिल हुए.
महासम्मेलन में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से अपील की गयी कि वे जल्द ही सरना धर्मकोड का प्रस्ताव विधानसभा में पारित कराकर केंद्र को भेजे. गौरतलब है कि इस सम्मेलन में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री पुनेंदू बासु भी शामिल हुए. उन्होंने भी सरना धर्मकोड की मांग का समर्थन किया.
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एक दूसरा समूह राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति के बैनर तले आदिवासी धर्मकोड की मांग को लेकर आंदोलनरत है. इस संगठन ने तीन जनवरी को पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में हुई बैठक में 12 जिलों में अपनी समितियों का गठन किया है. ये समिति आदिवासी धर्मकोड की लड़ाई को आगे बढ़ायेंगे. इस संगठन ने तीन जनवरी को ही ओडिशा के राउरकेला में भी बैठक की. नौ जनवरी को भुवनेश्वर में अगली बैठक होगी.




मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र में प्रस्तावित है बैठक
इसके अलावा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भी जनजाति समुदाय के साथ बैठक प्रस्तावित है. राष्ट्रीय आदिवासी धर्म समन्वय समिति के मुख्य संयोजक देवकुमार धान ने कहा कि हम लोग जितने भी राज्यों में आंदोलन चला रहे हैं उनके मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर ज्ञापन सौंप रहे हैं. इसके साथ ही संगठन को भी मजबूत रहे हैं.
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इन सभी मामलों में एक बार फिर से नाम पर पेंच फंस रहा है क्योंकि दोनों संगठन अलग अलग नामों से धर्मकोड की लड़ाई लड़ रहे हैं. संगठनों की तैयारियों से स्पष्ट है कि आनेवाले समय में यह आंदोलन और तेज होगा.