
Ranchi: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल के गर्वनिंग बॉडी की मीटिंग एक साल से नहीं हुई है. एक साल पहले 26 सितंबर 2019 को रामचंद्र चंद्रवंशी की अध्यक्षता में अंतिम बार मीटिंग की गयी थी. गर्वनिंग बॉडी की मीटिंग नहीं होने से कई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं हो पा रहे हैं. जिसमें पेशेंट केयर, मैनपावर की कमी, एकेडमिक से जुड़े निर्णय और अस्पताल के इंफ्रास्ट्रकचर से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय होने थे.
Slide content
Slide content
एक साल पहले जो निर्णय लिये गये थे, उनमें से भी अधिकतर प्रशासनिक महकमे में बदलाव के कारण अमल में नहीं आ सके. रिम्स नियमावली के मुताबिक गर्वनिंग बॉडी की मीटिंग किसी भी हाल में छह महीने के अंदर हो जानी चाहिये. पर ऐसा नहीं हो सका.
पूर्व निदेशक ने रिम्स छोड़ने से पहले स्वास्थ्य मंत्री को दो बार जीबी मीटिंग कराने को लेकर पत्र लिखा है. पर मंत्री ने एक बार भी जीबी को लेकर गंभीरता नहीं दिखायी. कांके विधायक समरी लाल का इस मामले पर कहना है कि जब विधानसभा हो सकता है तो फिर रिम्स जीबी मीटिंग क्यों नहीं हो सकता.
इसे भी पढ़ेंः गिरिडीह: भाजपाइयों पर अंबेडकर के झंडे फाड़ने का आरोप, भीम आर्मी का प्रतिवाद मार्च
जीबी मीटिंग नहीं होने से कौन-कौन से प्रोजेक्ट लटके हैं
रिम्स रांची को मेडिकल यूनिवर्सिटी बनाने का मामला था. जिसको लेकर पूर्व डायरेक्टर डॉ डीके सिंह ने रिम्स को डिटेल प्रपोजल विभाग को दिया था. लेकिन रिम्स जीबी मीटिंग नहीं होने के कारण इसपर निर्णय नहीं हो सका है. इसके अलावा रिम्स में नए ओपीडी काम्प्लेक्स का निर्माण भी किया जाना था. जिससे बाहर से आने वाले मरीजों को ओपीडी जांच में दिक्कत ना हो.
इसके अलावा रिम्स के रिम्स के प्रोफेसरों और रेजिडेंट डॉक्टरों के लिए आवासीय परिसर का निर्माण करने की बात थी, ये काम भी नहीं हो सका है. जीबी मीटिंग नहीं हो पाने के कारण पॉलिसी पर निर्णय नहीं हो पा रहा है. जिस कारण रिम्स में मैनपावर की कमी दूर नहीं हो पा रही है. इसके अलावा मशीनों के अपग्रेडेशन पर भी विचार नहीं हो पा रहा है.
रिम्स में सीटी स्कैन मशीन की उपलब्ध कराने को लेकर भी विचार नहीं हो पा रहा है. जिससे कोविड मरीजों के इंफेक्शन लेवल का सही से समय पर पता नहीं चल रहा है.
इसे भी पढ़ेंः इंडियन सुपर लीग फुटबॉल टूर्नामेंट : ईस्ट बंगाल की होगी इस साल इंट्री, नवंबर में होंगे मैच