
Ranchi : 1 अगस्त 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि झारखंड में दस साल से अधिक समय तक नियमित रूप से काम करने वाले अनियमित कर्मचारियों का स्थायीकरण किया जाये.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार इसे चार साल में पूरा कर लिया जाना था. दस महीने बाद राज्य सरकार ने सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी और 18 जून 2019 को कैबिनेट ने भी स्वीकृति दे दी.
फिर भी, किसी भी जिले ने अभी तक स्थायीकरण करने के लिए अनियमित रूप से दस साल काम कर चुके कर्मियों की सूची तैयार नहीं की है. नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के 15 महीने बाद भी नियमितीकरण की कार्रवाई पूरी नहीं की जा सकी है.


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विभाग तक नहीं भेजा गया आवेदन
दस साल से अनियमित रूप से काम कर रहे कर्मियों में से कुछ का कहना है कि हमसे आवेदन मांगे गये हैं, हमने अपना आवेदन जमा भी कर दिया है पर अभी तक विभाग को नहीं भेजा गया है.
झारखंड के विभिन्न विभागों में सृजित पदों के विरुद्ध कार्यरत अनियमित कर्मचारी नियमित होंगे. कैबिनेट ने इस बाबत झारखंड सरकार के अधीनस्थ अनियमित रूप से नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों की सेवा नियमितीकरण नियमावली 2015 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी.
अब इस संशोधन के आलोक में सरकार ने जून 2019 में नये सिरे से आवेदन मांगा था. अधिसूचना की तिथि से 10 साल पूर्व से कार्यरत कर्मी नियमितीकरण के दायरे में आयेंगे.
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सिविल अपील पर कोर्ट ने दिया था निर्णय
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने नियमितीकरण की कट ऑफ डेट 10 अप्रैल 2006 निर्धारित की थी. बाद में इसी मामले में सर्वोच्च न्यायालय में एक सिविल अपील दायर की गयी, जिसमें एक अगस्त 2018 को कोर्ट ने निर्णय दिया.
कोर्ट ने राज्यों को वहां की परिस्थितियों का आकलन करते हुए नियमावली बनाने तथा कट ऑफ डेट निर्धारित करने को कहा था. पर आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले इस काम को पूरा कर पाने में सफलता नहीं मिली.
अनियमित कर्मचारी अपने नियमितीकरण का इंतजार ही कर रहे हैं पर अभी तक सूची तैयार ही नहीं हो सकी है.
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