
PATNA: केंद्रीय मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है और इस मंत्रिमंडल में चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को जगह दी गई है. लोक जनशक्ति पार्टी में टूट और कलह के बीच लगातार भाजपा खामोश थी चिराग पासवान ने कई बार कहा कि भाजपा को एलजेपी में समझौता करवाना चाहिए, राम ने हनुमान को अकेला छोड़ दिया. लेकिन इन सबके बीच पशुपति कुमार पारस को भाजपा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया है ऐसे में चिराग पासवान अकेले पड़ गए हैं इसके साथ ही चिराग पासवान के पास अब चुनौती भी बड़ी है और अवसर भी.
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चिराग पासवान बीजेपी के बंधन से मुक्त हो गए हैं अब ऐसी स्थिति में चिराग पासवान को खुद को साबित करने और खुलकर राजनीति करने का अवसर मिला है. चिराग पासवान को अब पार्टी का सिंबल लेकर भी चुनाव आयोग से लेकर न्यायालय तक लंबी लड़ाई के लिए खुद को तैयार रखना होगा हालांकि फिलहाल बिहार में हाल-फिलहाल में कोई चुनाव नहीं होने वाले हैं ऐसे में चिराग पासवान आने वाले चुनावों के लिए खुद को और लोगों को कितना मजबूत कर पाते हैं उनकी राजनीतिक कौशल पर निर्भर करता है. रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था चिराग पासवान उनके बेटे हैं चिराग पासवान ऐसी स्थिति में आ गए हैं कि उनके पास और अवसर के साथ चुनौती भी बहुत बड़ी है.
वैसे राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि पारस के केंद्रीय मंत्री बनने से रामविलास पासवान के समर्थकों पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है. पार्टी और परिवार में टूट से सबसे बड़ी सियासी संकट का सामना कर रहे चिराग पासवान इस सियासी दांवपेच से खुद को कैसे निकाल पाते हैं यह देखना होगा. साथ ही साथ एलजेपी से जुड़े समर्पित कार्यकर्ताओं के हौसले और उनका मनोबल कैसे बढ़ाए रखते हैं यह भी देखना होगा. कैसे चतुराई से अपने समर्थकों को जोड़ कर रखेंगे यह भी देखने वाली बात होगी. इसके साथ ही साथ चिराग पासवान कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाले हैं चिराग पासवान अकेले हैं और चुनौती बहुत बड़ी और इस चुनौती के साथ-साथ चिराग पासवान के लिए अवसर भी बहुत बड़ा है. अब देखना होगा किस चुनौती का सामना चिराग कैसे करते हैं और अवसर का लाभ है कितना उठा पाते हैं.