
Ranchi: झारखंड में विज्ञान और प्रावैधिकी विभाग से अलग कर 12 जून 2003 को बनाया गया सूचना प्रावैधिकी और ई-गवर्नेंस विभाग. इस विभाग के विभागीय मंत्री खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास हैं. 2014-15 से लेकर अब तक इस विभाग का बजट 1013.88 करोड़ का बनाया गया. विभाग की तरफ से 530 करोड़ रुपये भी खर्च नहीं किये जा सके हैं. विभाग को जैप आइटी, झारखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (जे-सैक), एनआइसी जैसी एजेंसियां कंप्यूटरीकरण और पारदर्शी प्रशासन के लिए गठित किया गया है. इसके जिम्मे बायोटेक सिटी, सॉफ्टवेयर टेक्नोलाजी पार्क बनाने, इंफोटेक सिटी, इंफोटेक बिल्डिंग, सरकारी विभागों के कंप्यूटरीकरण जैसी बड़ी योजनाएं हैं. पर विभागीय अफसरों की वजह से बजट का 50 फीसदी ही खर्च हो पाया है. विभाग में आइटी डेवलपमेंट, आइटी से जुड़े उद्योगों की स्थापना, पूंजी निवेश, निर्यात आदि का भारी-भरकम उद्देश्य भी बनाया गया है.
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अब तक नहीं बन पाया सीएम डैश बोर्ड


राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में सिटी वाई-फाई की सुविधा बहाल करने की घोषणा 2018-19 के बजट में की गयी थी. इतना ही नहीं भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा जारी नक्सल प्रभावित इलाकों में बीएसएनएल के माध्यम से मोबाइल टावर लगाने के लिए 18 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया गया था. झारखंड के 752 साइट पर यह टावर लगाया जाना था. बोकारो के कसमार प्रखंड में ई-एजुकेशन, ई-हेल्थ, बैंकिंग, स्किल डेवलपमेंट, ई-पोस्ट, ई-सर्विस दिये जाने की घोषणा की गयी थी. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री के लिए समीक्षा बैठक करने के लिए मध्यप्रदेश की तर्ज पर सीएम डैश बोर्ड भी बनाया जाना था. यह अब तक नहीं बन पाया.




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रांची छोड़ अन्य जगहों पर नहीं बन पाया एसटीपी
रांची के अलावा, जमशेदपुर, देवघर, सिंदरी में सॉफ्टवेयर टेक्नोलाजी पार्क अब तक नहीं बन पाया है. जे सैक की स्थापना राज्य के खनिज संस्थानों का अंतरिक्ष तकनीक से आकलन कर उसका मानचित्र बनाने, रिमोट सेंटिंग, जीपीएस, सैटेलाइट कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए किया गया था. यह काम अब तक शत प्रतिशत पूरा नहीं हो पाया है. जैप आइटी के जिम्मे झारनेट, ई-प्रोक्योरमेंट, ई-मुलाकात, ई-निबंधन, ई-कोर्ट, ई-जिला, ई-नागरिक पोर्टल का विकास कर उसे क्रियान्वित करना था.
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11202 प्रज्ञा केंद्रों से जारी किये जा रहे हैं सर्टिफिकेट
राज्य भर में आइटी विभाग की तरफ से 11202 प्रज्ञा केंद्र स्थापित किये गये हैं. इसमें 3031 केंद्र शहरी क्षेत्र में तथा 3171 ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्र बनाये गये हैं. इन केंद्रों से सरकार की तरफ से ई-डिलिवरी सिस्टम के तहत 56 तरह के प्रमाण पत्र एक तय राशि पर निर्गत किये जा रहे हैं. इन केंद्रों से सरकार का दावा है कि 4.55 लाख प्रमाण पत्र निर्गत किये गये हैं. अब यह कहा जा रहा है कि इन केंद्रों को ई-मेडिसीन, ई-परामर्श और स्किल डेवलपमेंट के रूप में उपयोग में लाया जायेगा. सरकार अब यह कह रही है कि राज्य के 930 पंचायतों को त्रि स्तरीय स्तर पर जिला और राज्य मुख्यालय से जोड़ा जायेगा.
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आइटी विभाग का सूरत-ए-हाल
वित्तीय वर्ष | बजट की रकम | खर्च की राशि | |
2014-15 | 121.77 करोड़ | 60.78 करोड़ | |
2015-16 | 123.44 करोड़ | 107.10 करोड़ | |
2016-17 | 184.38 करोड़ | 148.68 करोड़ | |
2017-18 | 180.31 करोड़ | 74.25 करोड़ | |
2018-19 | 191.72 करोड़ | 140 करोड़ (अनुमानित) | |
2019-20 | 212.20 करोड़ |