
Ranchi : झारखंड हाइकोर्ट ने बीआइटी मेसरा की ओर से मेसरा (पंचोली एवं नवाटोली) गांव में की जा रही जमीन मापी पर रोक लगाते हुए यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश दिया है. प्रार्थी कुशल मुंडा एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सोमवार को यह निर्देश दिया.
अदालत ने इस मामले में प्रार्थी को कांके सीओ के पास अभ्यावेदन देने को कहा है. वहीं सीओ को इस मामले में तीन माह में जांच कर उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया है. याचिका में कहा गया था कि बीआइटी मेसरा ने अपनी वेबसाइट पर आम सूचना निकाली, इसमें कहा गया है कि उऩकी ओर से 456.62 एकड़ जमीन मेसरा गांव (पंचोली एवं नवाटोली) में जमीन अधिग्रहित की गयी है. अक्तूबर 2020 माह में जमीन के सीमांकन की कार्रवाई भी शुरू कर दी गयी.
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इसके खिलाफ मेसरा गांव के लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर कर मापी का विरोध किया. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता निरंजन कुमार ने बताया कि बीआइटी मेसरा ओर से जिस जमीन की मापी करायी जा रही है, वह जमीन मेसरा गांव जिसमें (पंचोली एवं नवाटोली) भी आता है के ग्रामीणों की रैयती जमीन है. कुछ जमीन पर आज तक रसीद काटी जा रही है. कुछ लोगों की रसीद इसलिए नहीं कट पा रही है कि उऩकी जमीन का मामला ऑनलाइन की प्रक्रिया में नहीं हो पाया है. वर्षों से रैयतों और उनके पूर्वजों का निवास यहां पर है.
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सुनवाई के दौरान अधिवक्ता निरंजन कुमार ने अदालत में घर बार खेती लगी तसवीर भी दिखाया. उऩ्होंने कहा कि ग्रामीण आदिवासी और ओबीसी जाति के निवासी हैं. ऐसे में बीआइटी मेसरा का उक्त जमीन पर दावा गलत है. बीआइटी मेसरा की ओर से इस संबंध में कोई कागज भी प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसके अलावा बिना नोटिस के उक्त मापी कराना गलत है.