जिस धरती से शुरू हुई आयुष्मान भारत योजना, वहीं हो रही फेल
सरकारी अस्पतालों में 244, निजी हॉस्पिटलों में सिर्फ 1356 मरीजों का ही हो सका इलाज
Chandan Choudhary
Ranchi : झारखंड की धरती से शुरु हुआ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान भारत की स्थिति झारखंड में ही सही नहीं है. 23 सितंबर को राजधानी रांची के प्रभात तारा मैदान से बडे जोशो-खरोश के साथ इस योजना की शुरुआत की गयी थी. लेकिन राजधानी के अस्पतालों ने ही इसे गंभीरता पूर्वक नहीं लिया. आरंभ हुए तिथी से लेकर अब तक की रिपोर्ट देखा जाये तो निराश करने वाली है.
निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों को मिलाकर अब तक सिर्फ 1600 मरीजों का ही इलाज अब तक हो सका है. 11 सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 244 मरीज का इलाज आयुष्मान भारत के अंतर्गत हुआ, जबकि 47 निजी अस्पतालाओं में 1,356 मरीज ही इस योजना का लाभ उठा सके हैं. सिविल सर्जन कार्यालय से मिले रिपोर्ट के अनुसार सदर अस्पताल में सबसे अधिक 231 मरीजों का इलाज किया गया है. जबकि राज्य के सबसे बडा हॉस्पिटल रिम्स में सिर्फ 13 मरीजों का ही इलाज हो पाया है.
टॉप टेन में भी शामिल नहीं है रिम्स
374 करोड़ रुपए का बजट वाला राज्य का सबसे बडा हॉस्पिटल रिम्स को टॉप 10 में भी जगह नहीं मिल सका है. सिर्फ 13 मरीजों का इलाज कर रिम्स 19 वें स्थान पर है. रिम्स में प्रतिदिन 300 से 400 मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं. अधिकांश मरीज आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं और उनके पास लाल, पीला कार्ड भी होता है. ऐसे में ही रिम्स का यह आंकडा कई सवाल खड़े करते हैं. रिम्स में अब तक कुल 179 मरीजों का रजिस्ट्रेशन हो सका है. जबकि मरीजों का गोल्डन कार्ड बनाने में रिम्स पीछे नहीं है.
लेकिन योजना के अतर्गत मरीजों का इलाज करने में रिम्स फिस्ड्डी साबित हुआ है. रिम्स की ढीला रवैया देखकर अब तो यहां आने वाले मरीज आयुष्मान भारत के तहत अपना इलाज भी कराना नहीं चाहते. मरीजों का कहना है कि योजना के तहत इलाज कराने में महीनों समय लग जाता है, जबकि पैसे देने से एक सप्ताह में ही इलाज हो जाता है. वहीं रिम्स में आयुष्मान भारत के नोडल पदाधिकारी डॉ संजय कुमार का कहना है कि इंप्लांट और दवाईयों के समय पर नहीं मिलने के कारण मरीजों के इलाज में देरी आती है.
सिंघपुर नर्सिंग होम ने किया 221 मरीजों का इलाज
रिम्स के मुकाबले कुछ निजी अस्पतालों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. मुरी का एक निजी अस्पताल सिंघपुर नर्सिंग होम हॉस्पिटल में 312 मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया. जिसमें 221 मरीजों का इलाज कर दिया गया. रिपोर्ट के अनुसार बड़े-बड़े नाम वाले हॉस्पिटल भी इस योजना के तहत इलाज करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. मेडिका जैसी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में दो महीने में सिर्फ 107 मरीजों का ही इलाज हो पाया है.
किस हॉस्पिटल में कितने मरीज का हुआ रजिस्ट्रेशन और कितने का हुआ इलाज
(सरकारी)हॉस्पिटल का नाम रजिस्ट्रड मरीजों की संख्या इलाज हुआ
सदर हॉस्पिटल 514 231
रिम्स 179 15
आएच मांडर, सीएचसी रातू, सीएचसी बुढमू, सीएचसी सिल्ली, सीएचसी सोनाहातू, सीएचसी कांके, सीएचसी चान्हों, डोरंडा डीस्पेंशरी, एसडीएच बुंडू में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ. इस स्वास्थ्य केंद्र में सिर्फ एक-एक मरीज का ही रजिस्ट्रेशन हुआ है.
(निजी)हॉस्पिटल का नाम रजिस्ट्रड मरीजों की संख्या इलाज हुआ
सिंघपुर नर्सिंग होम 340 249
कांके जेनरल हॉस्पिटल 234 144
रिंची ट्रस्ट हॉस्पिटल 164 119
रानी हॉस्पिटल 237 117
नागरमल मोदी सेवा सदन 157 115
मेडिका हॉस्पिटल 194 107
एस्लिपीयस सेंटर फॉर मेडिकल सांइस 95 79
राजू सेवा सदन 81 64
राज हॉस्पिटल 61 58
देवकमल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 77 58
आयुष्मान नर्सिंग होम 64 57
शालिनी हॉस्पिटल रुक्का 59 50
मां राम प्यारी आर्थो हॉस्पिटल 44 28
सिटी ट्रस्ट हॉस्पिटल 43 25
कमलेश मेमोरियल नर्सिंग होम 36 25
गुलमोहर हॉस्पिटल 31 25
क्यूरी अब्दूर्र रज्जाक अंसारी कैंसर इंस्टीच्यूट 205 24
वरदान हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 13 6
रांची यूरोलॉजी सेंटर 8 5
चंद्रा हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 13 4
हरमू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 7 4
शालिनी हॉस्पिटल नारायण सोसो 4 4
समर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 9 4
डॉ लाल हॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 4 3
कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल 12 3
अमृत हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 8 3
बालपन एडवांस पेडियाट्रिक हॉस्पिटल 7 2
सुयोग हॉस्पिटल 5 2
विशाल सेवा सदन एंड रिसर्च सेंटर 7 2
लेक व्यिू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 4 1
द सेवन पाम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 2 1
सिसिर सेवा केंद्र 0 0
स्टोन एंड यूरोलॉजी क्लिनीक 1 0
द्वारिका हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 1 0
बुद्धिष्ट मिशन 2009 0 0
हेल्थ प्वांइट हॉस्पिटल 0 0
ह्वील व्यिू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर 0 0
जसलोक हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर 8 0
रानी चिल्ड्रेन हॉस्पिटल 0 0
संजीवनी नर्सिंग होम 0 0
कश्यप नर्सिंग होम 0 0
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