
Chakradharpur : राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग दिल्ली ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर फैसला सुनाते हुए कहा है कि मृतक सुमंती जाते के परिवार को दो लाख रूपये छह सप्ताह के भीतर दें और रिपोर्ट करें. साथ ही दोषी लोक सेवकों के खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई का विवरण छह सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराएं. इस संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय मानव आयोग के रीजिनल वॉलिंटियर कोऑर्डिनेटर बैरम खान ने बताया कि जिला पश्चिमी सिंहभूम के मनोहरपुर की रहने वाली सुमंती जाते की मौत डॉक्टरों की लापरवाही के कारण हुई थी. सुमंती की आयु महज आठ साल थी और आदिवासी समुदाय से आती थी. सिस्टम फेल होने के कारण इस बच्ची की जान चली गई.
क्या है पूरा मामला
झारखंड राज्य के जिला पश्चिमी सिंहभूम के मनोहरपुर प्रखंड अंतर्गत बारंगा गांव निवासी निरन जाते की आठ वर्षीय पुत्री सुमंती जाते को 11 अक्टूबर को मनोहरपुर के सीएचसी में भर्ती कराया गया था. बच्ची डायरिया और एनीमिया से पीड़ित थी. इसका ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव था. अस्पताल के सुस्त रवैये के कारण 17 अक्टूबर को सुमंती की रक्त की कमी से मौत हो गई. इसके पूर्व मां गुरुवारी जाते की मौत भी 15 अक्टूबर को हो गई. वह भी डायरिया और एनीमिया से पीड़ित थी. अखबारों में खबर छपने के बाद मनोहरपुर से लेकर चाईबासा तक मामले की लीपापोती शुरू होने लगी. चक्रधरपुर के मानवाधिकार कार्यकर्ता बैरम खान ने इस मामले को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया और इस मामले पर संज्ञान लेने की गुहार लगाई, जिसके बाद अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है.
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