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बकोरिया कांड में प्राथमिकी दर्ज करनेवाला पुलिस अफसर मो रुस्तम बयान से मुकरा!

Ranchi: बकोरिया कांड में प्राथमिकी दर्ज करनेवाला पुलिस अफसर मो रुस्तम अपने बयान से मुकर गया है. खबर है कि बकोरिया कांड की जांच कर रही सीबीआइ टीम के सामने घटना की प्राथमिकी दर्ज करनेवाला पुलिस अफसर मो रुस्तम ही अपने बयान से पलट गया.

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सूत्रों के मुताबिक मो रुस्तम ने अपने बयान में दारोगा हरीश पाठक के बयान का समर्थन किया है. साथ ही कहा है कि उसे सीनियर अफसरों ने लिखी हुई प्राथमिकी दी थी, जिस पर उसने सिर्फ हस्ताक्षर किया था. हालांकि सीबीआइ के अफसरों ने आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि अभी नहीं की है.

उल्लेखनीय है कि घटना के बाद पुलिस अफसरों ने उस वक्त के थानेदार हरीश पाठक पर प्राथमिकी दर्ज करने का दबाव बनाया था. हरीश पाठक द्वारा फर्जी मुठभेड़ की प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार करने पर सीनियर अफसरों ने इंस्पेक्टर मो रुस्तम से प्राथमिकी दर्ज करायी थी.

फर्जी निकले सीआइडी के गवाह

सूत्रों ने बताया कि सीआइडी ने फर्जी मुठभेड़ के इस मामले में पुलिस के सीनियर अफसरों को क्लीन चिट देने के लिए जिन ग्रामीणों को गवाह बनाया, उनमें से अधिकांश गवाह सीबीआइ के सामने अपने बयान से मुकर गये हैं. जिसके बाद ही सीबीआइ ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है. अब इस मामले की जांच से जुड़े तमाम अफसर भी कार्रवाई के दायरे में आ जायेंगे.

बकोरिया मुठभेड़ की जांच करने पलामू पहुंचे सीबीआइ सेंट्रल फोरेंसिक लैब के डायरेक्टर एनबी वर्धन

8 जून 2015 को सतबरवा थाना क्षेत्र में बकोरिया के भेलवाघाटी में हुई कथित पुलिस नक्सली-मुठभेड़ की जांच शुरू कर दी गयी है. सीबीआइ सेंट्रल फोरेंसिक लैब के डायरेक्टर एनबी वर्धन और सीबीआइ के बड़े अधिकारी पलामू पहुंचे. सीबीआइ की टीम में सात सदस्य हैं. टीम गुरुवार सुबह घटना का डेमो करेगी.

गुरुवार को सीबीआइ के वरीय अधिकारी घटना का डेमो कर हर पहलू को समझेंगे

मिली जानकारी के अनुसार सीबीआइ के वरीय अधिकारी गुरुवार को सतबरवा थाना क्षेत्र में बकोरिया के भेलवाघाटी में हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ स्थल पर पूरी घटना का डेमो कर हर पहलू को समझने की कोशिश करेंगे. सीबीआइ के वरीय अधिकारी और फोरेंसिक डारेक्टर एनबी वर्धन दो दिन घटनास्थल पर रह कर मुठभेड़ की जांच करेंगे.

सतबरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी मोहम्मद रुस्तम से सीबीआइ ने की पूछताछ

बताया जा रहा कि पलामू में सीबीआइ की स्पेशल टीम कैम्प कर रही है. बुधवार को सीबीआइ की टीम ने सतबरवा के तत्कालीन थाना प्रभारी मोहम्मद रुस्तम से घंटों पूछताछ की. मिली जानकारी के अनुसार फोरेंसिक टीम घटनास्थल पर जायेगी और सैंपल लेगी. टीम कथित मुठभेड़ के दौरान जब्त हथियार और गाड़ी की भी जांच करेगी.

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झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ ने दर्ज की थी प्राथमिकी

पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में सीबीआइ दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी झारखंड हाइकोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिये आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था.

परिजनों ने की थी सीबीआइ जांच की मांग

मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में राज्य की जांच एजेंसी सीआइडी की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी. सीबीआइ ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी. इस केस के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं. उन्होंने लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के उदय यादव, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के निमाकातू निवासी एजाज अहमद, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के मझिगांव निवासी योगेश यादव व नौ अज्ञात मृतक तथा एक अज्ञात नक्सली के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी. हाइकोर्ट ने यह आदेश दिया था कि वादी सहित पुलिस के अधिकारी हरीश पाठक ने भी पूरी जांच पर सवाल खड़े किये थे.

मृतक के भाई ने दायर की थी याचिका

पुलिस मुठभेड़ में मारे गये उदय यादव के रिश्तेदार जवाहर यादव ने हाइकोर्ट में क्रिमिनल याचिका दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने 22 मार्च 2018 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद 22 अक्टूबर को हाइकोर्ट ने बहुचर्चित बकोरिया कांड में अपना फैसला सुनाया था. शिकायतकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार ने कोर्ट को बताया था कि आठ जून 2015 को सतबरवा में पुलिस ने फर्जी नक्सली मुठभेड़ दिखा कर 12 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी थी. जिसमें पांच नाबालिग हैं. सुनवाई के दौरान उनकी ओर से कुल 22 बिंदुओं को कोर्ट के समक्ष रखा गया था.

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