
Jamshedpur : झारखंड की स्वर्णरेखा और दामोदर नदी औद्योगिक प्रदूषण से 95 प्रतिशत से अधिक मुक्त हो गई है. बावजूद इसके इन दोनों नदियों का प्रदूषण स्तर शहरी क्षेत्र में काफी ज्यादा है. इसकी वजह नगरीय प्रदूषण है. यह कहना है जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय का. वे शनिवार को अपने बिष्टपुर स्थित आवासीय कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने सरकार से जलस्रोतों को संरक्षित करने के लिए कानून बनाने की मांग की. साथ ही कहा कि 15 दिनों में सरकार इसके लिये विधेयक लाने की घोषणा करे अन्यथा वे खुद विधानसभा के अगले सत्र में इस बारे में एक निजी विधेयक लाएंगे.
विशेषज्ञों के साथ की नदी के प्रदूषण की समीक्षा
विधायक सरयू राय ने कहा कि विगत 22 मई 2022 (जैव विविधता दिवस) से 26 मई 2022 तक स्वर्णरेखा नदी के उद्गम स्थल रानीचुंआ से मऊभंडार तक नदी के प्रदूषण की समीक्षा की गयी. वहीं, 5 जून 2022 (विश्व पर्यावरण दिवस) से 9 जून 2022 (गंगा दशहरा) तक दामोदर नदी के प्रदूषण की समीक्षा के लिए उन्होंने विशेषज्ञों की टीम के साथ यात्रा की. इन यात्राओं के निष्कर्ष का सार संक्षेप झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भेज दिया गया है.
यह निकला निष्कर्ष
उन्होंने बताया कि समीक्षा यात्रा के दौरान पाया गया कि दामोदर और स्वर्णरेखा नदी आज औद्योगिक प्रदूषण से मुक्त हो गई है, लेकिन निगमों-नगरपालिकाओं से हो रही नगरीय प्रदूषण बढ़ा है. बढ़ते हुए शहरीकरण से इस प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रही है. उन्होंने कहा कि टाटा लीज के सीमित क्षेत्र को छोड़कर राज्य में कहीं भी सिवरेज ट्रीटमेंट की व्यवस्था काम नहीं कर रही है. नतीजा है कि जिन नदियों को हम मां कहते हैं, वह मैला ढ़ोने वाली मैला गाड़ी बन गई है.
शहरीकरण नीति को बताया जिम्मेवार
इसका मुख्य कारण शहरीकरण की नीति का अविवेकपूर्ण क्रियान्वयन है. जमशेदपुर का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि अट्टालिकाओं वाला यह शहर समृद्धि युक्त स्लम में बनने की ओर अग्रसर है. छोटे शहरों का बेतरतीब विकास हो रहा है. सिवरेज सिस्टम, विभिन्न श्रेणी के ठोस कचरा, मेडिकल कचरा, हानिकारक कचरा आदि के निस्तारण की व्यवस्था का अभाव है. नदी- नालों का अतिक्रमण हो रहा है. इनके किनारे बसनेवाले अपना जल, मल, मूत्र सीधे नदी नाला में डाल रहे हैं. वहीं से पीने के लिए पानी की आपूर्ति हो रही है. पेयजल का शुद्धीकरण केवल फिटकिरी और क्लोरीन से हो रहा है, जो मल से निःसृत बैक्टिरिया को नहीं मार पाते हैं. वे बैक्टीरिया-जीवाणु घरों तक पहुंचकर डायरिया, इकोलाई, बिकोलाई, टायफायड का कारण बनते हैं.


रजरप्पा में लिया गया दूसरे चरण के अभियान का निर्णय
विधायक सरयू राय ने कहा कि नदियों को नगरीय प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए दूसरे चरण का अभियान चलाने का निर्णय बीते 8 जून को रजरप्पा में लिया गया. यह अभियान स्वयंसेवक समूहों और पर्यावरण प्रेमियों को साथ लेकर पूरा किया जाएगा.




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