
Ranchi: केंद्र सरकार ने आखिरकार कृषि बिल वापस लिया. आगे भी ऐसे आंदोलन जारी रहेगा. सुयंक्त किसान मोर्चा की ओर से इसका आह्वान किया गया है. वहीं, देश भर के किसानों ने इसका समर्थन दिया है. ये बातें एआइएडब्लयूयू के महासचिव डॉ विक्रम सिंह ने कही.
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आयोजन राजभवन के समक्ष किया गया. डॉ सिंह शुक्रवार को किसान संघर्ष समन्वय समिति और श्रमिक संगठनों की ओर से आयोजित किसान मजदूर पंचायत में शामिल हुए थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि बिल वापस लेने की घोषणा तो की. लेकिन चार लेबर कोड में अभी भी सरकार मौन है.
सरकार को ये कानून भी वापस लेने होंगे. पूरे देश में संविधान दिवस मनाया जा रहा है और संविधान में दिये अधिकारों के बल पर सरकार से मांगे पूरी करायेंगे.
केंद्र स्तर पर किसान संगठनों ने लेबर कोड वापस होने तक समर्थन की बात की है. ऐसे में किसान और मजदूरों के साथ ही आंदोलन को तेज किया जायेगा. कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली में किसान आंदोलन के एक साल होने के अवसर पर किया गया.
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वापस लेने होंगे कई कानून
इस दौरान नेताओं ने कहा कि सिर्फ कृषि कानून और लेबर कोड ही नहीं. कोरोना काल को अवसर बनाकर केंद्र सरकार ने कई कानून लागू किये. जो बगैर किसी चर्चा के पास किया गया. इसमें नयी बिजली संशोधन अधिनियम भी शामिल है. जब पूरी दूनिया महामारी झेल रही थी. देश की जनता के पास संसाधनों की कमी थी. तब सरकार देश को निजी हाथों में सौंपने की रणनीति बना रही थी. हालांकि कुछ राज्यों ने इन कानूनों का विरोध किया.
फिर भी सरकार जबरन इन कानूनों को थोपने का काम कर रही है. कृषि बिल वापसी के बाद, आम जनता का मनोबल बढ़ा है. जरूरी है कि केंद्र सरकार के निजीकरण की मंशा का पुरजोर विरोध किया जायें.
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किसान और मजदूर संगठन हुए शामिल
आयोजित पंचायत में किसानों और मजदूर संगठनों का समर्थन मिला. जिसमें दर्जनों किसान और मजदूर संगठन शामिल हुए. जिसमें अखिल भारतीय किसान महासभा, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, सीटू, एआइसीटीयू समेत अन्य संगठन के प्रतिनिधि शामिल हुए. इसमें मुख्य रूप से अविनाश बोस, प्रफुल्ल लिंडा समेत अन्य मौजूद रहे.
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