
Jamshedpur : गणेश परिक्रमा वाली राजनीति के दौड़ में मूल्यों के साथ जीना कोई इस शख्स से सीखे. उस शख्स का नाम है एसआरए रिजवी छब्बन यानी सैयद रजा अब्बास रिजवी छब्बन. उनके इंतकाल के साथ लौहनगरी की राजनीति के एक युग का अंत हो गया. हरदिल अजीज रिजवी साहब ने गुरुवार को जमशेदपुर के कदमा इलाके में स्थित आवास पर अंतिम सांस ली. ताउम्र कांग्रेस के झंडाबरदार रहे रिजवी साहब ने मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया. कभी राजनीतिक नफा-नुकसान की परवाह नहीं की.
जमशेदपुर की पत्रकारिता में लंबी पारी खेल चुके अजय शंकर कहते हैं- रिजवी साहब का जाना कांग्रेसियों को कितना खला उन्हें नहीं माालूम, उन्होंने ज्यादा खला सह पता है. अजय शंकर बताते हैं कि संयुक्त बिहार में कांग्रेस में खींचतान के दौर में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा का जमशेदपुर दौड़ा तय हुआ. छब्बन की अगुवायी में जमशेदपुर कांग्रेस के एक खेमे ने डॉक्टर मिश्रा के विराेध का फैसला लिया. तय कार्यक्रम के मुताबिक डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा का उड़नखटोला सोनारी एयरपोर्ट के उपर मंडराया तो नीचे का नजारा ही कुछ और था. विरोधी खेमे का हुजूम देखकर एक खेमे के हाथ-पैर फूले थे. मान-मनौव्वल की कोशिशों बेकार गईं और लंबे समय तक मंडराने के बाद डॉक्टर मिश्रा का हेलीकॉप्टर वापस लौट गया. ये थी सीधी लकीर पर चलने की छब्बन साहब की दिलेरी.
शुगर की बीमारी ने कर दिया खोखला
छब्बन साहब 70 साल की आयु पूरी कर चुके थे. हालांकि, हंसमुख इस शख्स को शुगर जैसी बीमारी खोखला करती जा रही थी. वे अस्वस्थ चल रहे थे. और आखिरकार उनकी सांसों की डोर छूट गई. वे अपने पीछे चार बेटे रईस रिजवी, अनीस रिजवी, जफर रिजवी, मजहर रिजवी एवं एक बेटी किश्वर काजमी के साथ नाती-पोतों से भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं. छब्बन के इंतकाल की खबर के बााद जमशेदपुर के सियासी गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई. कदमा के शास्त्रीनगर ब्लॉक नंबर दो, रोड नंबर दो स्थित आवास पर अंतिम दर्शन के लिए परिचितों का तांता लगा है.
धातकीडीह कब्रिस्तान में होंगे सुपुर्द ए खाक



बड़े बेटे रईस रिजवी ने बताया कि छब्बन साहब को धातकीडीह स्थित कब्रिस्तान में गुरुवार रात नौ बजे सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा.



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