
Ranchi : खेल विभाग में खेल प्रशिक्षकों की (स्पोर्ट्स कोच) कमी है. कई सालों से इन पदों पर नियुक्ति नहीं की जा सकी है. 2014 में इस संबंध में इन पदों के लिये खुद खेल विभाग ने प्रस्ताव तैयार किया था. 92 पद सृजित किये गये थे. इससे संबंधित संकल्प भी जारी हुआ था. पर इसके बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. इसे लेकर अब विधानसभा के बजट सत्र में आवाज उठायी गयी है.विधायक औऱ युवा कल्याण समिति संस्कृति एवं पर्यटन विकास समिति के सदस्य लंबोदर महतो ने सरकार से इसके लिये निवेदन किया है. कहा है कि खेल विभाग इस पर अमल करे.
संविदा पर ही काम करे रहे कोच
लंबोदर महतो के मुताबिक झारखंड अलग राज्य बनने के बाद से अभी तक खेल कोचों की स्थायी नियुक्ति नहीं हो सकी है. खेल निदेशालय में कोच के लिये 92 पद सृजित किये गये थे. पर अब भी संविदा पर ही कोचों से सेवा ली जा रही है. विभाग के अंतर्गत संचालित खेल सेंटरों में कांट्रेक्ट पर ही कोच रखे जाते रहे हैं. 2004, 2006, 2008 और 2019 में संविदा या तय मानदेय पर ही खेल प्रशिक्षकों को रखा गया है. ऐसी स्थिति में कई ऐसे कोच हैं जिन्होंने बेहतर मौका मिलने पर झारखंड ही छोड़ दिया है और दूसरी जगहों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं.


10 सालों से अधिक समय से संविदा पर सेवा


खेल सेंटरों में कार्यरत कई ऐसे कोच हैं जो संविदा पर 12-15 सालों से काम करते आ रहे हैं. राज्य में तकरीबन 34 रेसिडेंशियल स्पोर्टस ट्रेनिंग सेंटर, लगभग 80 डे बोर्डिंग सेंटर हैं. इनके जरिये खेल प्रतिभाओं को तैयार किया जाता है. पर इन्हें तैयार करने में लगे खेल प्रशिक्षकों के सामने भविष्य को लेकर चिंता खड़ी होती रही है. विधानसभा में अब लंबोदर महतो ने डिमांड की है कि जो प्रशिक्षक 10 सालों से खेल प्रशिक्षण केंद्रों से जुड़े हुए हैं, उन्हें खेल निदेशालय में खेल प्रशिक्षक के सृजित पद पर सीधी नियुक्ति दी जाये.