
Raj kishor
Jamshedpur : शहर के शराब पीने के शौकीनों की मुसीबत तो तभी बढ़ गयी थी जब बीयर के साथ व्हिस्की के कई जाने-माने ब्रांडों का शॉर्टेज शुरू हो गया. इसका नतीजा अब शराब विक्रताओं को भुगतना पड़ा रहा है. उनके सेल में 70 फीसदी तक कमी आ गई है. इससे शराब के दुकानदार ही परेशान नहीं हैं, बल्कि बार संचालकों को भी यह धंधा काफी भारी पड़ रहा है.
कहां गर्मी के इस सीजन में बीयर पीने के शौकीनों की शराब दुकानों पर लाइन लगी रहती थी, जबकि बार भी भरे पड़े रहते थे. वहीं फिलहाल स्थिति यह है कि दुकानों और बार में बोतल बीयर तक उपलब्ध नहीं है. केन बीयर भी है तो काफी सीमित मात्रा में. इससे बीयर पीने के शौकीनों की मुसीबत तो बढ़ी ही है, दुकानदार और बार संचालकों के लिए भी यह धंधा काफी घाटे का साबित हो रहा है. उनकी मानें तो करीब बीस दिन हो गये, न तो गोदाम से बीयर आ रहा है और ना ही ब्रांडेड व्हिस्की. कई दुकानों और बार के तो फ्रीज तक बंद हो गये हैं.
बीयर और व्हिस्की के इन ब्रांडों की है शार्टेज
किंगफिशर, थंडर बोल्ट, टुबर्ग, गॉडफादर, बर्डवाइज, मैग्नम, बेकसाइस समेत बीयर के जाने-माने ब्रांड के साथ व्हिस्की के मैक्डॉवल नंबर-वन, रॉयल स्टैग, रॉयल चैंलेंग, इंपीरियल ब्लू, ऑफिसर्स चॉइस, इंपेरियल ब्लू और स्टर्लिंग सेवन और टेन समेत ब्लेंडर्स प्राइड जैसे ब्रांडों की दुकानों के साथ बार में कमी हो गई है. यही बीयर और व्हिस्की पीने के शौकीनों के साथ दुकानदारों और बार संचालकों की परेशानी का सबब बना हुआ है.
जमशेदपुर और आसपास कुछ ज्यादा है खराब है हालात
यूं तो शुरुआत में पूरे झारखंड में बीयर और व्हिस्की के शार्टेज की बात सामने आई थी, लेकिन शराब के धंधे से जुड़े लोगों की मानें तो जमशेदपुर और आसपास के क्षेत्रों में हालात कुछ ज्यादा ही खराब है. इसकी सीधी सी वजह टाटा-घाटशिला रोड पर स्थित शराब के थोक विक्रेता मैयहर डेवलपर्स के गोदाम में शराब की कमी होना है. इससे जमशेदपुर और आसपास बीयर और ब्रांडेड शराब की ज्यादा शॉर्टेज हो गयी है. यहां तक कि पड़ोसी जिले सरायकेला-खरसावां में इससे बेहतर स्थिति है.
लाइसेंसधारियों को हो रहा है भारी घाटा
इससे लाइसेंसधारी शराब विक्रेताओं को भारी घाटा झेलना पड़ रहा है. क्योंकि हर महीने की 25 तारीख को उन्हें एक्साइज ट्रांसपोर्ट ड्यूटी जमा करना पड़ता है. दूसरी ओर हालत यह है कि गोदाम में स्टॉक नहीं है. इससे दुकानदारों का सेल घटा है. अब उन्हें यह चिंता सता रही है कि वे इस घाटे की भारपाई कैसे करेंगे.
शहर और आसपास हैं 95 दुकान और 52 बार
बता दें कि शहर और आसपास के कुल मिलाकर शराब की 95 खुदरा दुकानें हैं, जबकि होटल मिलाकर कुल 52 बार है. खुदरा दुकानदारों को जहां एक्साइज ट्रांसपोर्ट ड्यूटी जमा करने और घाटे की भारपाई करने की चिंता सता रही है, वहीं बार संचालकों की चिंता कुछ और है. उनके मुताबिक इस महीने से बार का भी कोटा तय किया गया है, जबकि गोदाम में स्टॉक है नहीं. बार संचालकों को खुदरा विक्रताओं की तरह हर महीने एक्साइज ट्रांसपोर्ट ड्यूटी तो जमा नहीं करनी पड़ती है, क्योंकि उनके लाइसेंस फी के साथ ही सारी रकम ले ली जाती है. इस लिहाज से अप्रैल 2022 से लेकर अप्रैल 2023 तक के लिए बार संचालकों का नौ लाख रुपया लगा है. मौजूदा हालात में वे अपने घाटे की भारपाई कैसे करेंगे? यह सवाल उनके दिलो-दिमाग में कौंध रहा है. फिलहाल आगे स्थिति क्या रहती है उस पर लाइसेंसधारियों के साथ बार संचालकों की निगाहें टिकी है.
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