
Jamshedpur : एक वक्त था जब समाज में सिर्फ पुरुषों का ही वर्चस्व था. अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं को तो बेहद पिछड़ा माना जाता था, लेकिन अब अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाएं अपनी मेहनत के बूते समाज में जगह बना रही हैं. उंचे पदों पर कार्यरत हैं. यह समाज के लिए एक अच्छा संकेत है. ये बातें केंद्रीय आदिवासी एवं जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने रविवार को एबीएम कॉलेज में तीन दिवसीय ऑनलाइन सेमिनार के समापन सत्र पर बतौर मुख्य वक्ता कही. सेमिनार का विषय ‘समाज के सशक्तिकरण में अनुसूचित जाति-जनजातीय महिलाओं का योगदान‘ था. सेमिनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं के बीच की असमानता अब खत्म हो रही है. जनजातीय व अनुसूचित जाति भी सामान्य वर्गों के साथ बेहतर तालमेल बनाकर काम कर रही है. खेल के क्षेत्र में अनुसूचित व जनजातीय महिलाओं का दबदबा रहा है. सिर्फ जनजातीय ही नहीं हर वर्ग की महिलाएं इस क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रही हैं. सेमिनार को कोल्हान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गंगाधर पांडा ने भी संबोधित किया. एबीएम कॉलेज की प्राचार्या डॉ मुदिता चंद्रा ने सभी वक्ताओं का स्वागत किया. सेमिनार में कुलसचिव डॉ जयंत शेखर, प्रो इला प्रसाद, किरण तिवारी, राजेश पांडेय आदि मौजूद थे.
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