
Awanish Ranjan Mishra
जब से कोरोना का खौफ आया है, तब से सरकारें लगातार आदेश जारी कर रही हैं. आदेश जारी करने की वजह लोगों को कोरोना से बचाना है. पर, लगातार बदलते आदेशों के कारण लोग परेशान भी हो रहे हैं. इन्हीं परेशानियों पर हाई कोर्ट के अधिवक्ता Awanish Ranjan Mishra ने एक व्यंग्य लिखा है. लेखक ने व्यंग्य के जरिये आदेशों को लेकर हो रही परेशानियों को सामने लाने की कोशिश की है. साथ ही कुछ सवाल भी उठाये हैं.
कृपया अनुभवी व्यक्ति मार्गदर्शन करने की कृपा करें, आभारी रहूंगा-
– जब संक्रमितों की संख्या 391 थी, तो बंद. आज 1.45 लाख है तो खुला. तो हम उस समय गलत थे या आज गलत हैं?
– कार में 3 लोग बैठेंगे तो कोई दिक्कत नहीं, चौथा व्यक्ति जो आएगा वो कोरोना लेकर आ जायेगा?
– बाइक में एक ही व्यक्ति बैठेगा, दूसरा व्यक्ति के आने से कोरोना संक्रमण की संभावना बढ़ जाएगी?
– बस में 30 लोग बैठेंगे तो कोरोना नहीं आएगा, 31 वां व्यक्ति के आते ही कोरोना घुस जाएगा बस में?
– सुबह 7 बजे से शाम के 7 बजे तक कोरोना नहीं पकड़ेगा, लेकिन शाम के 7 बजे के बाद कोरोना रोड पर नाचने लगेगा. जो निकलते के साथ पकड़ लेगा?
– हम शराब की दुकान से शराब खरीद कर घर लाकर पियेंगे, तो कोरोना कुछ नहीं बोलेगा. लेकिन बार में बैठ कर पियेंगे तो कोरोना पकड़ लेगा?
– यदि हम पास लेकर रेड जोन में घूमते रहे, तो कोरोना पास देखकर छोड़ देगा. लेकिन पास जिन लोगों के पास नहीं होगा, उसको कोरोना पकड़ लेगा?
– यदि हम कोई वस्तु वेंडर से घर मंगवा लेंगे, तो कोरोना नहीं आएगा. लेकिन हम बाज़ार निकलेंगे तो बाजार में हमारा इंतज़ार करता कोरोना हम पर टूट पड़ेगा?
– यदि हम मास्क नहीं लगाएंगे तो कोरोना पकड़ लेगा, लेकिन राजनीतिज्ञों के मास्क नहीं लगाने पर कोरोना देखकर पहचान लेगा और हाऊ आर यू पूछकर चला जायेगा?
– कोरोना मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे के बाहर हमें पकड़ने का इंतज़ार कर रहा है. इसलिए ये बंद हैं. पर उद्योगों, कारखानों के पास कोरोना नहीं जाएगा, इसलिए खुला है?
– यदि हम पार्सल लेने के लिए होटल जाएंगे तो कोरोना कुछ नहीं बोलेगा, लेकिन वहीं बैठकर खाने पर पकड़ लेगा?
– अमीरों की शादी की ओर कोरोना नहीं देखता है, पर गरीबों की शादी में जैसे 51 वां इंसान पहुंचेगा सबको कोरोना हो जाएगा?
– महाराष्ट्र से 25 उड़ान प्रतिदिन भरने पर कोरोना नहीं होगा, लेकिन26 वां उड़ान होते के साथ कोरोना सबको पकड़ लेगा?
– वकील कोर्ट जाकर टांगा हुआ बक्शा में अर्जी डालेगा तो कुछ नहीं होगा, लेकिन कोर्ट में बहस कर देगा तो कोरोना हपच लेगा?
कोई कारण, तथ्य, दर्शन तो होना चाहिए कायदा, नियम बनाने के पीछे ?
मतलब यह कि, सावधान रहिये. किसी को कुछ आता जाता नहीं है.
नया टाइप का चीज़ आया है, सब तुक्का मार रहा है.
अपना जान अपने बचाइए और कोई लोकल आईडिया बुझाये तो हमको भी बताईये.
झाड़ फानूस सलाहकार,
सब भकचोंधर है.