
Jamshedpur : सरयू राय ने सीएम रघुवर दास पर मैनहर्ट कंपनी को नाजायज फायदा पहुंचाने और रुतबे का प्रयोग कर जांच धीमा करने का आरोप लगाया है.
सोमवार को प्रेसवार्ता में राय ने सवाल किया, मुख्यमंत्री बतायें आखिर वे कैसे कहते हैं कि वे बेदाग हैं, उन्होंने मैनहर्ट कंपनी को आर्थिक लाभ पहुंचाने की कोशिश की जिसके लिए साक्ष्य की कोई कमी नहीं.


क्या है मामला




मामला 2005 का है. सरयू राय ने कहा कि रघुवर दास ने परामर्शी कंपनी मैनहर्ट को गलत तरीके से आर्थिक लाभ पहुंचाया. उस समय रघुवर दास नगर विकास मंत्री हुआ करते थे.
प्रेसवार्ता में सरयू राय ने आगे कहा कि ओआरजी मांर्ग कंपनी को बिना नोटिस के हटा कर मैनहर्ट कंपनी को 24 करोड़ रुपये में परामर्शी बहाल कर लिया गया, वो भी उस स्थिति में जब मैनहर्ट निविदा के सभी अहर्ता के अनुसार उपयुक्त नहीं थी.
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विधानसभा में भी उठा था मामला
सरयू राय ने कहा कि मामला विधानसभा में उठा तो जांच के लिए उनके ही नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी गठित की गयी.
कमेटी ने मैनहर्ट को अयोग्य करार देते हुए कार्रवाई की अनुशंसा की लेकिन रघुवर दास ने विधानसभा अध्यक्ष को दो बार पत्र लिखकर जांच रोकने की कोशिश की.
हाईकोर्ट में भी लिया था संज्ञान
सरयू राय ने ये भी कहा कि मामला हाईकोर्ट भी पहुंचा जहां मैनहर्ट मामले पर पीआइएल की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रार्थी को डीजी विजिलेंस के पास जाकर शिकायत दर्ज कराने का आदेश दिया.
आदेश में कहा गया कि शिकायत में सच्चाई के साक्ष्य मिलते हैं तो इस पर जल्द कानूनी कार्रवाई की जाये. विजिलेंस की जांच के दौरान भी मैनहर्ट की बहाली को गलत पाया गया.
इतना ही नहीं बाद में उच्च न्यायलय ने मैनहर्ट की बहाली की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो से कराने के लिए याचिकाकर्ता को निगरानी आयुक्त के पास जाने का भी आदेश दिया.
उस वक्त निगरानी आयुक्त राजबाला वर्मा थीं जो बाद में रघुवर दास की मुख्य सचिव भी बनीं. सरयू राय ने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद इसीलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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सीएम नहीं हैं बेदाग
अंत में उन्होंने साफ कहा कि सीएम रघुवर दास बेदाग नहीं हैं क्योंकि 3 करोड़ की जगह 24 करोड़ खर्च कर मैनहर्ट को परामर्शी बहाल किया.
विधानसभा समिति, हाईकोर्ट और निगरानी विभाग की जांच में मैनहर्ट अयोग्य साबित हुआ, उसके बाद भी कोई अपने आप को बेदाग कैसे कह सकता है?
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