
Ranchi : जेटेट से कई ऐसी भाषाओं को बाहर कर दिया गया है जिसे बोलने, लिखने पढ़ने वालों की बड़ी तादाद राज्य में है. राजधानी रांची सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में ऐसे लोग अरसे से निवास करते आ रहे हैं. ऐसे में जेटेट में मैथिली, अंगिका, भोजपुरी, मगही को बाहर किये जाने से नाराजगी देखी जा रही है. इनमें विधायक सरयू राय भी शामिल हैं. सोशल मीडिया पर भी उन्होंने इस मसले पर अपनी बात रखी है. सरकार के इस फैसले को वे कानूनी रूप से भी सही नहीं मान रहे.
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विधि विभाग सरकार को दे वाजिब सलाह
सरयू राय के मुताबिक मैथिली, अंगिका, भोजपुरी जैसी भाषाएं झारखंड के बड़े क्षेत्र के निवासियों का मातृभाषा है. ऐसे में जेटेट से इन भाषाओं को बाहर रखना वैध नहीं है. विधि विभाग इस संबंध में सराकर के शिक्षा विभाग को सही परामर्श दे. इससे बड़े भू-भाग में रहने वाले लोगों और उनकी भाषाओं के साथ अन्याय नहीं होगा. साथ ही अनावश्यक मुकदमेबाजी से भी बचा जा सकेगा.
जेटेट परीक्षा से मैथिली,अंगिका, भोजपूरी,मगही को बाहर रखना क़ानूनी दृष्टि से सही नहीं है.झारखंड के बड़े क्षेत्र के निवासियों के लिये ये मातृभाषा हैं.विधि विभाग इस संबंध में सरकार के शिक्षा विभाग को सही परामर्श दे ताकि बड़े भू-भाग के साथ अन्याय नहीं हो और अनावश्यक मुकदमेबाजी न हो.
— Saryu Roy (@roysaryu) November 21, 2021
नागरिकों के बीच भेदभाव पर लगे रोक
राज्य में नियोजन में राज्य के बाहर के स्कूलों से पढ़ाई करने के बारे में अनुसूचित और गैर अनुसूचित वर्गों में भेद करने का झारखंड सरकार का निर्णय भी कानूनी तौर पर वैध नहीं. कानून की कसौटी पर यह खरा नहीं उतरेगा. संविधान भी ऐसे मामलों में नागरिकों के बीच भेदभाव वर्जित करता है. ऐसे फैसलों से कोर्ट कचहरी मुकदमेबाजी को प्रश्रय मिलता है. इस पर रोक लगाने को गंभीरता से विचार किया जाना चाहिये.
नियोजन में राज्य के बाहर के स्कूलों से पढ़ाई के बारे में अनुसूचित एवं ग़ैर अनुसूचित वर्गों में भेद करने का झारखंड सरकार का निर्णय भी क़ानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा.हमारा संविधान ऐसे मामले में नागरिकों के बीच भेदभाव वर्जित करता है. इससे अनावश्यक मुकदमेबाजी को प्रश्रय मिलेगा.
— Saryu Roy (@roysaryu) November 21, 2021
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