
Jamshedpur : सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड के शिक्षकों के साथ सौतेला व्यवहार करने का सिलसिला जारी है. इस बार भी जुलाई महीने का पहला सप्ताह गुजरने को है फिर भी वेतन को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट नहीं है. इस पर शिक्षकों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि आखिर कबतक गम्हरिया प्रखंड के शिक्षकों के साथ इस तरह का व्यवहार होता रहेगा क्योंकि यह पहली बार नहीं हुआ है. शिक्षकों की मानें तो हर बार उनके वेतन का भुगतान विलंब से किया जाता है. वह भी तब जब जिले के सभी प्रखंडों के शिक्षकों का वेतन भुगतान हो जाता है.
सवालों के घेरे में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी की कार्यशैली
इसे लेकर शिक्षकों ने एकबार फिर गम्हरिया प्रखंड के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह वेतन भुगतान, निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि पिछले महीने तो फिर भी कुछ विलंब से उनके वेतन का भुगतान हो गया था, लेकिन पहले अप्रैल महीने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल तक भी शिक्षकों के वेतन का भुगतान नहीं हो पाया था. शिक्षक इन सारे मामलो में सरकार और जिला प्रशासन को कहीं से जिम्मेवार नहीं ठहरा रहे हैं. उनका कहना था कि 13 से 14 अप्रैल तक विभाग को वेतन मद की राशि का आवंटन दिया गया था. उस दौरान भी आरोपों के घेरे में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी ही थे. शिक्षकों का आरोप है कि प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी सह निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी जान-बूझकर शिक्षकों को सबक सिखाने की नीयत से उनके वेतन भुगतान में विलंब करने में लगे रहते हैं.
शिक्षिका की प्रताड़ना से जोड़कर देख रहे मामले को
प्रखंड के शिक्षक कहीं न कहीं इसे आदिवासी शिक्षिका राधी पूर्ति की प्रताड़ना से जोड़कर देख रहे हैं. मामले में पीड़ित शिक्षिका के आरोपों के घेरे में प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रहे हैं. उनका शिक्षकों ने संघ के बैनर तले एकजुट होकर पुरजोर विरोध किया था. शिक्षकों का आरोप है कि उस प्रकरण के बाद ही शिक्षा प्रसार पदाधिकारी हर बार शिक्षकों का सबक सिखाने की तलाश में रहते हैं. शिक्षकों बार-बार वेतन में भुगतान में देर होने को इसी से जोड़कर देख रहे हैं. दूसरी ओर अब तक वेतन का भुगतान नहीं होने से महंगाई के इस दौर में शिक्षकों का हाल-बेहाल है. आर्थिक तंगी के कारण वे तरह-तरह की परेशानियां झेलने पर विवश हैं.



