
Ranchi : रामनवमी और सरहुल जैसे महापर्व के लिए शोभायात्रा निकालने की इजाजत अब तक राज्य सरकार के स्तर से नहीं दी गयी है. इस पर रांची सांसद संजय सेठ और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने झारखंड सरकार को आड़े हाथों लिया है. कहा कि सरहुल और रामनवमी यह दोनों ही त्योहार हिंदुओं और आदिवासियों के लिए अहम हैं.
इन दोनों ही त्योहारों पर सरकार जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दे रही है जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. कोरोना के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है. सभी प्रकार के आयोजन हो रहे हैं. सभी तरह के उत्सव मनाए जा रहे हैं. बावजूद इसके राज्य सरकार को सरहुल और रामनवमी से ही आपत्ति है जो यह बताता है कि यह सरकार अब तुष्टिकरण पर उतर आई है. सरकार को झारखंड के आदिवासी और सनातन संस्कृति और उसके मूल्यों, उनके त्योहारों से कोई वास्ता नहीं रह गया है.
राज्य सरकार को अविलंब इस मामले में निर्णय लेना चाहिए. रामनवमी और सरहुल जैसे प्रमुख लोक पर्व को मनाने के लिए अविलंब सूचना जारी अपनी चाहिए ताकि राज्य की जनता, यह दोनों ही त्योहार खुशी और उल्लास के साथ मना सके.
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सांसद ने कहा कि सरकार जनता के हितों की रक्षा के लिए होती है परंतु ऐसा लग रहा है जैसे झारखंड सरकार को जनता के हितों से कोई मतलब नहीं है. सरकार जन भावनाओं का ख्याल रखते हुए अविलंब रामनवमी और सरहुल की शोभायात्रा निकालने की इजाजत समितियों को दे.




बाबूलाल मरांडी ने कहा कि हाल ही में केंद्र और अन्य राज्य सरकारों ने कोरोना गाइडलाइन में छूट दे दी है. इसके मद्देनजर अब पर्व-त्योहार को मनाने की अनुमति भी कई राज्यों ने दी है. झारखंड में दर्जनों संगठन सरहुल और रामनवमी में अपनी प्रमुख भूमिका निभाते हैं. राज्य में कोरोना की स्थिति भी अब सामान्य है. सीएम भी इसकी शोभायात्रा के लिए जल्द से जल्द परमिशन दें.
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