
Ranchi: 10 साल बाद ग्रामीण कार्य विभाग को इस बात की जानकारी मिली कि उनके यहां संविदा पर नियुक्त एमआईएस कंसलटेंट राजीव कुमार की नियुक्ति में नियमों का आंशिक अनुपालन किया गया. सालों बाद विभाग के इस टिप्पणी से अब राजीव कुमार की नौकरी चली गयी उनको सेवा विस्तार नहीं दिया गया. विभागीय मंत्री आलमगीर आलम के पास भेजी गयी संचिका में उन्होंने यह टिप्पणी कर दी कि अगर कार्यहित में इस पद की आवश्यकता हो तो प्रशासी पदवर्ग समिति की सहमति के बाद पद सृजित कर नये सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया कर चयन करने का निर्देश दिया है.
दरअसल, विभाग ने संविदा पर नियुक्त आइटी कंसलटेंट राजीव कुमार को 30 हजार रुपये के वेतन पर संविदा पर 2012 में नियुक्त किया था. उस वक्त एक साल के लिए इनकी नियुक्ति की गयी थी, यह शर्त थी कि अगर कार्य संतोषजनक रहा तो कार्यहित में इन्हें अवधि विस्तार दिया जा सकता है. तब से विभाग के प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद इन्हें विस्तार मिलता रहा. इस बार भी ग्रामीण कार्य विभाग ने 6 मई को इन्हें कार्यहित में 6 जून 2022 से छह जून 2023 तक एक साल का अवधि विस्तार देने के लिए प्रस्ताव बनाया और विभागीय मंत्री की सहमति के लिए भेजा.
मंत्री ने संविदा पर नियुक्ति के नियम और अवधि विस्तार के बारे में जानकारी मांगी. विभाग ने अपने जवाब में कहा कि संविदा पर नियुक्ति और इसके अवधि विस्तार पर कोई ठोस नियम नहीं है. वहीं, राजीव कुमार की नियुक्ति में वॉक इन इंटरव्यू के तहत की गयी थी और नियुक्ति नियमों का आंशिक अनुपालन हुआ था. विभाग ने इसके बावजूद कार्यहित में और इनकी सेवा संतोषजनक मानते हुए सेवा विस्तार करने की अनुशंसा की थी. लेकिन विभागीय मंत्री द्वारा पद सृजित कर नियुक्ति की प्रक्रिया नये सिरे से करने का निर्देश दे दिया है. ऐसे में अब राजीव कुमार की सेवा समाप्त हो सकती है, वे बेरोजगार हो जायेंगे.



संविदा कर्मियों को अब तक नहीं मिला बढ़ा डीए



ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत कार्यरत संविदा कर्मियों को अबतक बढ़ा डीए का लाभ नहीं मिला है. जबकि मंत्रिपरिषद की बैठक के फैसले के बाद वित्त विभाग ने 18 फरवरी को ही संकल्प जारी कर झारखंड सरकार के विभिन्न कार्यालयों में संविदा पर नियुक्त एवं कार्यरत कर्मियों का महंगाई भत्ता 113 प्रतिशत से बढ़ाकर 196 प्रतिशत तक कर दिया है. इसका लाभ 1 जनवरी 2022 की तिथि से ही मिलना है. महंगाई भत्ता वित्त विभाग के पांच मार्च 2009 के संकल्प के अनुसार धारित पद के कर्मियों को ही दिया जाना है. वित्त के इस संकल्प के बाद कई विभागों ने इसे लागू कर दिया है पर अभी तक ग्रामीण विकास विभाग ने यह लागू नहीं हुआ है जिससे संविदा पर कार्यरत 36 से अधिक कर्मियों व अन्य क्षेत्रिय कर्मियों को बढ़ा डीए का लाभ नहीं मिल रहा है. डीए नहीं बढ़ने की वजह से उनमें काफी रोष भी है.