
Girish Malvia
LIC जो हर साल लगभग 1.5 से 2 प्रतिशत के बीच ही ग्रॉस एनपीए बनाए रखती थी, वह सितंबर 2019 में सकल एनपीए 6.10 प्रतिशत बता रही हैं. साफ है कि LIC मोदी सरकार के पापों का बोझ उठाते-उठाते अब थकने लगी है, पिछले पांच साल में LIC का एनपीए दोगुना हो गया है.
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डेक्कन क्रॉनिकल, एस्सार पोर्ट, गैमन, आइएल एंड एफएस, भूषण पावर, वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज, आलोक इंडस्ट्रीज, एमट्रैक ऑटो, एबीजी शिपयार्ड, यूनिटेक, जीवीके पावर और जीटीएल आदि में LIC का 25 हजार करोड़ रुपये फंसा हुआ है. ये सारी कंपनियां दिवालिया अदालत में कार्यवाही का सामना कर रही हैं.


LIC ने दीवान हाउसिंग फाइनैंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज (DHFL) और अनिल अंबानी की अगुवाई वाले रिलायंस ग्रुप सहित कई संकटग्रस्त कंपनियों को भारी-भरकम कर्ज दे रखा है.
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पिछले साल कांग्रेस नेता अजय माकन ने तब आरबीआइ की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया था कि पिछले पांच साल में एलआइसी ने ‘जोखिमवाली’ सरकारी कंपनियों में अपना निवेश दोगुना बढ़ाकर 22.64 लाख करोड़ रुपये कर लिया है.
जिस तरह से बड़ी कंपनियां डूब रही है LIC में फंसे आम आदमी के लाखों-करोड़ों रुपए के निवेश पर खतरा मंडरा रहा है.
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