
Anita Gupta
Ranchi : रिम्स के क्रिटिकल केयर की टीम ने असंभव को संभव करते हुए 43 वर्षीय महिला की जान बगैर लिवर ट्रॉसप्लांट के ही बचा ली. निजी हॉस्पिटल के चिकित्सकों ने हाथ खड़े कर दिये थे. चिकित्सकों ने एयर एंबुलेंस के जरिए दिल्ली या मुंबई के किसी बड़े हॉस्पिटल में ले जाकर लिवर ट्रांसप्लांट करवाने को कहा था. लेकिन मरीज के परिजनों के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे उसे लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बाहर ले जाते. इस दौरान उन्होंने रिम्स के क्रिटिकल केयर में भर्ती किया. यहां पर एचओडी डॉ प्रदीप भट्टाचार्य के नेतृत्व में डॉ मो. सैफ, डॉ डुमनी सोरेन और डॉ अमित की टीम ने लगातार दो महीने तक 24 घंटे तत्परता के साथ मरीज का इलाज किया. फलस्वरूल, दो महीने के बाद राशिदा खातून स्वस्थ होकर अपने घर बिहार लौटीं.
इसे भी पढ़ें – सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए जमीन अधिग्रहण महत्वपूर्ण, सामंजस्यपूर्ण प्रयास से ही दूर होगी समस्याः अन्नपूर्णा देवी
काफी गंभीर थी मरीज की हालतः डॉ प्रदीप भट्टाचार्य
रिम्स के क्रिटिकल केयर एंड ट्रॉमा सेंटर के एचओडी डॉ प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि मरीज को जब रिम्स लाया गया तब उनकी स्थिति बहुत ही क्रिटकिल थी. उनको बचाना हमारी टीम के लिए अपने आप में ही एक चैलेंज था, क्योंकि मरीज के लिवर फेल होने के साथ साथ उसके फेफड़े और किडनी भी संक्रमित हो चुके थे. मरीज न ही कुछ बोल पा रही थी और न ही उनके बॉडी का कोई पार्ट मूव कर रहा था. ऐसे में मरीज को बचाने के लिए हमारी क्रिटिकिल टीम 24 घंटे तत्पर रही. कंजरवेटिव थैरेपी के जरिए उनका इलाज चला. फलस्वरूप, हमारी टीम सफल रही और मरीज स्वस्थ होकर अपने घर लौटी.
इसे भी पढ़ें – BLACK MONEY स्विस बैंक खाते में रखनेवालों पर गिरेगी गाज, स्विट्जरलैंड ने भारत को तीसरी सूची सौंपी