National

ममता बनर्जी की टीएमसी के किले में सेंध, सौमित्र खान भाजपाई हुए, छह सांसद पाइप लाइन में!

Kolkata : लोकसभा चुनाव आसन्न है और पश्चिम बंगाल में हलचल है. खबरों के अनुसार ममता बनर्जी का मजबूत किला दरकने लगा है.  बता दें कि भाजपा के खिलाफ विरोध का झंडा उठाने वाली पश्चिम बंगाल की सीएम  और तृणमूल कांग्रेस की चीफ ममता बनर्जी को शुरुआती झटका लग चुका है. पहला झटका बुधवार को बिष्णुपुर के सांसद सौमित्र खान ने दिया है. वे तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये है. अब कहा जा रहा है कि बोलपुर से सांसद अनुपम हजारे भी उनके पदचिह्नों पर चलने को तैयार हैं.   भाजपा के एक नेता के अनुसार सौमित्र खान के अलावा टीएमसी के लगभग छह सांसद हमारे संपर्क में हैं.  हालांकि भाजपा की बंगाल इकाई ने उन सांसदों के नाम उजागर करने से मना कर दिया है, जो उसके संपर्क में हैं. लेकिन चर्चा है कि अर्पिता घोष और शताब्दी रॉय भी टीएमसी छोड़ने के मूड  में हैं.

सूत्रों के अनुसार पार्टी में पूर्व में नंबर दो की हैसियत रखने वाले मुकुल रॉय के करीबी और पार्टी से असंतुष्ट दो सांसद भाजपा के साथ आ सकते हैं.  खबरों के अनुसार मुख्यमंत्री ममता 19 जनवरी को कोलकाता में भाजपा विरोधी रैली करने वाली हैं. लेकिन तृणमूल कांग्रेस  के अंदर राजनीतिक हलचल रैली के 10 दिन पहले ही शुरू हो गयी है.

दोनों सांसदों द्वारा भाजपा में शामिल होने की बात पिछले साल मानसून सत्र से ही जारी थी

टीएमसी ने सौमित्र खान और हाजरा को पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण पूर्व में पार्टी से बर्खास्त कर दिया था. उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. दोनों सांसदों द्वारा भाजपा में शामिल होने की बात पिछले साल मानसून सत्र से ही जारी थी,  क्योंकि यह साफ हो गया था कि पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव में दोबारा नामांकित नहीं करेगी. बनर्जी पर निशाना साधते हुए खान ने कहा, टीएमसी अब एक पार्टी नहीं रही बल्कि वह ममता और उसके भतीजे अभिषेक की निजी कंपनी बन गयी है. आरोप लगाया कि बंगाल में सिंडिकेट और पुलिस राज साथ-साथ चल रहा है.  बांकुरा के पर्यवेक्षक अभिषेक ने कहा कि सौमित्र 2011 में कांग्रेस और तृणमूल के उम्मीदवार थे. बाद में वे तृणमूल में शामिल होकर  2014 में संसद पहुंच गये. कहा कि सौमित्र को अपने सांसद निधि कोष के खर्चों के बारे में बताना चाहिए. लोगों के प्रति उनकी जवाबदेही बनती है.

जानकारी के अनुसार खान ने टीएमसी छोड़ने का निर्णय उस समय लिया, जब बांकुरा के एसडीपीओ सुकोमल दास ने उनके खिलाफ प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में किये गये भ्रष्टाचार के मामले में शिकायतों के बाद मामला दर्ज किया. इससे  एक दिन पहले ही उनके असिस्टेंट सुशांत दास गिरफ्तार किये गये थे.

Related Articles

Back to top button