
Mumbai : भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि आनेवाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति के उसके संतोषजनक स्तर से ऊंची बने रहने का अनुमान है. केंद्रीय बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रह सकती है.
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का विचार है कि जल्द नष्ट होने वाली कृषि उपज की कीमतों से सर्दियों के महीनों में क्षणिक राहत को छोड़ कर मुद्रास्फीति के तेज बने रहने की संभावना है. हालांकि, खुदरा मुद्रास्फीति के 2020-21 की चौथी तिमाही में कम होकर 5.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के नतीजों की घोषणा करते हुए कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआइ) आधारित मुद्रास्फीति तेजी से बढ़ कर सितंबर में 7.3 प्रतिशत और अक्टूबर में 7.6 प्रतिशत पर पहुंच गयी.
इसे भी पढ़ें : अगले कुछ दिनों में चौबीसों घंटे काम करने लगेगी आरटीजीएस प्रणाली: आरबीआइ गवर्नर
खाद्य सामग्री के दाम अधिक बने रहने की आशंका
उनके अनुसार, कीमतों का दबाव बढ़ने से पिछले दो महीने के दौरान मुद्रास्फीति का परिदृश्य उम्मीद की तुलना में प्रतिकूल रहा है. उन्होंने कहा कि खरीफ फसलों की भारी आवक से अनाज की कीमतों का नरम होना जारी रह सकता है और सर्दियों में सब्जियों की कीमत में भी नरमी आ सकती है, लेकिन अन्य खाद्य सामग्री के दाम अधिक बने रहने की आशंका है. इनका दबाव खुदरा मुद्रास्फीति पर बना रह सकता है.
श्री दास ने कहा कि इन सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत और 2021-22 की पहली छमाही में 5.2 से 4.6 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान है.
मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति दबाव के मद्देनजर नरम रुख के साथ रेपो दर को चार प्रतिशत पर बनाये रखा है. श्री दास ने कहा कि वित्तीय स्थिरता बनाये रखना और हर समय सुरक्षित रहना सुनिश्चित करते हुए हमारा सबसे प्रमुख उद्देश्य आर्थिक वृद्धि को सहारा देते रहना है.
इसे भी पढ़ें : बाइडन ने भारतीय मूल के अमेरिकी विवेक मूर्ति को नियुक्त किया सर्जन जनरल