
Mumbai : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया है. आरबीआई के गवर्नर शशिकांत दास ने आज शुक्रवार को नीतिगत दर की घोषणा करते हुए कहा है कि. रेपो दर चार प्रतिशत पर बरकरार है. वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मौद्रिक नीति में उदार रुख को बरकरार रखा गया है. इसका असर ये होगा कि बैंकों से लोन लेनेवाले लोगों को कोई राहत नहीं मिलेगी.
वहीं शेयर बाजार में चल रही तेजी बरकरार है. शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स और निफ्टी नये उच्च स्तर पर पहुंच गये. 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 51 हजार अंक के स्तर को छूने के बाद 216.47 अंक यानी 0.43 प्रतिशत की बढ़त के साथ 50,830.76 अंक पर कारोबार कर रहा था.
इसी तरह, 50 शेयरों वाला एनएसई निफ्टी 73.30 अंक यानी 0.49 प्रतिशत की बढ़त के साथ 14,968.95 अंक पर कारोबार कर रहा था. सेंसेक्स की कंपनियों में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), कोटक बैंक, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी, ओएनजीसी और एक्सिस बैंक समेत 22 कंपनियों के शेयर बढ़त में चल रहे थे.


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लगातार चौथी बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं
मालूम हो कि आरबीआई ने लगातार चौथी बार मौद्रिक समीक्षा बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आम बजट के बाद उम्मीद लगाये मिडिल क्लास के लोगों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है. बुधवार से ही नीति समिति की तीन दिवसीय द्विमासिक बैठक चल रही .
RBI रेपो दर वर्तमान में चार फीसदी के निचले रिकॉर्ड स्तर पर है. वहीं, रिवर्स रेपो दर 3.35 फीसदी है. मालूम हो कि आरबीआई ने नीतिगत दरों में पिछला संशोधन 22 मई, 2020 में किया था. इसके बाद तीन मौद्रिक समीक्षा बैठकों में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. आज एक बार फिर ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
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पिछले साल फरवरी में रेपो दर में 1.15 फीसदी की हुई थी कटौती
आरबीआई पिछले साल फरवरी माह से रेपो दर में 1.15 फीसदी की कटौती कर चुका है. अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में दिसंबर 2020 में मुद्रास्फीती नीचे आने के बावजूद अब तक रुख नरम नहीं हुआ है.
आम बजट में राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 6.8 फीसदी रखा गया है. इसका अभिप्राय है कि सरकार को अधिक कर्ज लेना होगा. ऐसे में आरबीआई के लिए नरम ब्याज दर का रुख लंबे समय तक रखना चुनौतीपूर्ण होगा.
हालांकि, कंपनी जगत को मौद्रिक नीति समिति से मजबूत आर्थिक वृद्धि दर के लिए जरूरी कदम उठाये जाने की उम्मीद है. साथ ही कंपनी जगत ने उम्मीद जतायी है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करने का उपाय आरबीआई करेगी.
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