
Ranchi : राज्य सरकार में कृषि गन्ना, पशुपालन व मत्स्य विभाग एक महत्वपूर्ण विभाग होता है. इसमें सीधे किसानों से जुड़ी समस्या का समाधान होता है. किसानों के पशुधन से लेकर कृषि योजना तक के इससे जुड़े होने के कारण यह विभाग महत्वपूर्ण होता है. लेकिन इस विभाग के पास चिकित्सक, कर्मचारी, भवन की कमी है.
राज्य में पशु चिकित्सकों के स्वीकृत पद 774 हैं जबकि 537 ही कार्यरत हैं. विभाग में अन्य अहम पदों पर पर भी कर्मचारियों की भारी कमी है. जिससे विभाग के कामों को सुचारू रूप से संचालन करने में परेशानी का समाना करना पड़ता है. राज्य में पशुधन सहायकों के स्वीकृत पद 577 हैं.
जबकि इसके मुकबले मात्र 130 पशुधन सहायक ही कार्यरत हैं. वही तकनीकी सहायकों के 400 पद हैं. इसके मुकबले 128 तकनीकी सहायक ही सूबे में कार्यरत हैं.


इसे भी पढ़ेंः #YesBank के फाउंडर राणा कपूर को ED ने किया गिरफ्तार, चल रही जांच


अस्पतालों का हाल भी है खराब
जिला मुख्यालय के अस्पतालों का हाल बिल्कुल ही खराब है. किसानों को अपने पशु के इलाज हेतु कोई सुविधा नहीं मिलती है. अस्पताल में दवा की कमी है. केवल साल में एक बार पशुओं का टीकाकरण होने के बाद विभाग की ओर से किसानों को कोई सुविधा नहीं मिलती है. प्रखंडों में तो कहीं-कहीं चिकित्सक ही नहीं रहते हैं. किसानों को कोई सुविधा नहीं मिलती है.
अस्पतालों की हालत इतनी जर्जर है कि किसान अस्पतालों की दशा को देख कर ही अफसोस करते हैं. लगभग सभी अस्पताल जर्जर होकर गिर गये हैं. राज्य में प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालायों की सख्यां 424 है. जिसमें अधिकतर के भावन जर्जर स्थिति में हैं.
इसे भी पढ़ें: भूख से हुई भूखल घासी की मौत की घटना ने सरकार की खोली पोल : भाजपा
प्रभार में चल रहे कई पशुपालन कार्यालय
कई जिला पशुपालन पदाधिकारी के सेवानिवृत होने के बाद पशुपालन पदाधिकारी का पदस्थापन नहीं हो पा रहा है. ऐसे में विभाग के द्वारा एक पदाधिकारीयों को कई स्थान का प्रभार दिया गया है.
इसे भी पढ़ेंः नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर तिहाई बहुमत के आधार पर होगा फैसला, भाजपा कर रही है सिर्फ हाईवोल्टेज ड्रामाः आलमगीर