
Ranchi: राज्य के सबसे बड़े हॉस्पिटल रिम्स में सीआईपी और रिनपास की तर्ज पर मरीजों को इलाज की सुविधा मिलेगी. इतना ही नहीं इनडोर में मरीजों की प्रापर केयर के साथ उन्हें दवाएं भी उपलब्ध कराई जाएगी. ऐसे में इलाज के लिए अब मेंटल पेशेंट्स के पास एक और आप्शन रिम्स का साइकियाट्री विभाग होगा. जहां पर इनडोर की सुविधा शुरू की जा रही है. वहीं आने वाले दिनों में वहां इलाज के लिए लाए जाने वाले मरीजों पर रिसर्च भी किया जाएगा. बताते चलें कि रिम्स प्रबंधन ने इनडोर शुरू करने के लिए साइकियाट्री डिपार्टमेंट को जगह उपलब्ध करा दी है.
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20 बेड का होगा इनडोर वार्ड
हॉस्पिटल के मल्टी स्टोरीड पार्किंग बिल्डिंग में साइकियाट्री डिपार्टमेंट को जगह दी गई है. जहां पर 20 बेड लगाए गए है. जरूरत पड़ने पर बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी. फिलहाल प्रबंधन ने नर्सिंग स्टाफ और कुछ मैनपावर विभाग को दिया है. डिपार्टमेंट की ओर से जरूरी इक्विपमेंट्स और दवाओं की मांग की गई है. जैसे ही ये चीजें उपलब्ध कराई जाएगी तो विभाग में मरीजों का इलाज शुरू कर दिया जाएगा.
रिसर्च के भी खुलेंगे रास्ते
एचओडी डॉ अजय बाखला ने बताया कि रिम्स में साइकियाट्री पर रिसर्च भी किए जा सकेंगे. इसका फायदा मरीजों के साथ ही डॉक्टर्स को भी मिलेगा. इसके आधार पर हमलोग एमडी साइकियाट्री की पढ़ाई भी शुरू होगी. रिम्स गवर्निग बॉडी की मीटिंग में अलग बिल्डिंग बनाने को लेकर सहमति बनी थी. लेकिन कुछ कारणों से योजना धरातल पर नहीं उतर पाई. अब हमें जगह मिली है तो हम कई और क्लिनिक भी शुरू करेंगे. जिसमें हेडेक क्लिनिक, स्लीप क्लिनिक, डीऐडिक्शन क्लिनिक भी शामिल होगा. साइकियाट्री डिपार्टमेंट में फैकल्टी की कमी है. फैकल्टी की भी संख्या बढ़ाने का अनुरोध प्रबंधन से किया गया है.
ओपीडी में हर माह 1500 मरीज
साइकियाट्री ओपीडी में हर दिन 50 से अधिक मरीज आते हैं, जिनकी काउंसेलिंग के बाद इलाज शुरू किया जाता है. वहीं गंभीर मरीजों की स्थिति देखते हुए तुरंत उन्हें रिनपास या सीआईपी रेफर भी कर दिया जाता है. चूंकि वहां पर मरीजों को एडमिट कर इलाज की व्यवस्था है. रिम्स में इनडोर शुरू होने से मरीजों को रेफर करने की जरूरत नहीं होगी. साथ ही रिनपास और सीआईपी पर भी मरीजों का थोड़ा लोड कम होगा.
24 घंटे मिलेंगे डॉक्टर-स्टाफ
रिम्स का ओपीडी सुबह 9 से शाम को पांच बजे तक होता है. इसके बाद आने वाले मरीजों को सुबह का इंतजार करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं होता. इंतजार नहीं करने वाले मरीज को लेकर रिनपास चले जाते हैं. ऐसे में 24 घंटे डॉक्टर व स्टाफ के रहने से मरीजों को काफी राहत मिलेगी. वहीं इलाज के लिए सिटी से 8 किलोमीटर दूर भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.