
Ranchi: नगर निगम की मेयर डॉ आशा लकड़ा ने राजधानी रांची के सीवरेज-ड्रेनेज योजना फेज-1 को लेकर राज्य सरकार को घेरने की कोशिश की है. गुरुवार को योजना की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि 2015 में सीवरेज-ड्रेनेज फेज-1 का कार्य शुरू हुआ था जिसके अंतर्गत कुल 167 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाना था. पूर्व में चयनित एजेंसी ने 70 किलोमीटर तक सीवर लाइन बिछाने का कार्य किया गया था. अब नई एजेंसी 113 किलोमीटर सीवर लाइन का काम कर रही है. पूर्व में चयनित एजेंसी ने 14333 प्रॉपर्टी चेंबर में से 4737 प्रॉपर्टी चेंबर का निर्माण किया था. नई एजेंसी ने शेष 9596 प्रॉपर्टी चेंबर में से 7780 प्रॉपर्टी चेंबर का निर्माण किया है. मेयर ने कहा कि राज्य सरकार सीवरेज-ड्रेनेज योजना फेज-1 का कार्य पूरा करने के लिए रांची नगर निगम को पैसा नहीं दे रही है. फंड के अभाव में काम लंबित है.

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Noc के चक्कर में देरी
उन्होंने कहा कि पूर्व में चयनित एजेंसी ने 9 किलोमीटर ट्रंक लाइन में 6 किलोमीटर का कार्य पूरा किया था. NHAI, SAAJ व JRDCL से एनओसी नहीं मिलने के कारण शेष 3 किलोमीटर ट्रंक लाइन का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द नगर निगम को आवंटित राशि उपलब्ध कराई जाए ताकि सीवरेज-ड्रेनेज योजना फेज-1 का कार्य पूरा किया जा सके. एकरारनामा के अनुसार, नई एजेंसी को फरवरी 2023 तक इस योजना को पूरा करना है.
जोंटा ने शहर को किया बर्बाद : मेयर
रांची शहर को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिल चुका है. इसलिए रांची में साफ-सफाई की व्यवस्था को स्मार्ट बनाने के उद्देश्य से ZONTA INFRA एजेंसी का चयन किया गया था. एजेंसी ने अब तक डीपीआर व एकरारनामा के तहत कार्य पूरा नहीं किया है. गुरुवार को एजेंसी की ओर से नगर निगम क्षेत्र में लगाए गए स्मार्टबिन की साफ-सफाई की समीक्षा बैठक के बाद ये बातें मेयर डॉ आशा लकड़ा ने कही. उन्होंने कहा कि Zonta ने शहर को बर्बाद कर दिया है. एजेंसी की ओर से निगम क्षेत्र में जहां-तहां कुल 222 स्मार्टबिन लगा दिए. इससे पूर्व एजेंसी ने फिजिकल सर्वे किया ही नहीं. डीपीआर व एकरारनामा के अनुरूप एक भी कार्य नहीं किए गए. स्मार्टबिन की सफाई के लिए एजेंसी को स्मार्टबिन में सेंसर लगाना था. एजेंसी की ओर से अब तक न तो स्मार्टबिन में सेंसर लगाने का कार्य पूरा किया गया और ना ही कंट्रोल रूम स्थापित किया गया. उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र में 222 स्मार्टबिन लगाकर एजेंसी ने स्मार्ट सफाई व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की है. एजेंसी के पास फिजिकल व टेक्निकल संसाधन हैं ही नहीं.
निगम को एजेंसी ने दिया धोखा
मेयर ने कहा कि स्मार्टबिन की सफाई फिजिकल व टेक्निकल संसाधनों के माध्यम से कराने के लिए नगर आयुक्त अबतक 5-6 बार एजेंसी को पत्र लिख चुके हैं, फिर भी एजेंसी की ओर से इस दिशा में अबतक कोई पहल नहीं कि गई. एजेंसी ने झिरी स्थित डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने के लिए 20-22 छोटे वाहनों की व्यवस्था कर नगर निगम को धोखा दिया है. सिर्फ यही नहीं एकरारनामा की शर्तों के अनुसार, गीला व सूखा कचरा को अलग करने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. मोरहाबादी में लगाए गए स्मार्टबिन के बाहर कचरा गिरा रहता है, जिससे दुर्गंध फैलती रहती है. एकरारनामा की शर्तों के अनुसार, एजेंसी को नियमित अंतराल पर केमिकल से स्मार्टबिन की सफाई करनी है, लेकिन एजेंसी की ओर से यह कार्य अबतक नहीं किया गया. समीक्षा बैठक के दौरान मेयर ने नगर आयुक्त को निर्देश दिया कि एजेंसी को स्मार्टबिन की सफाई व्यवस्था डीपीआर व एकरारनामा के शर्तों के अनुसार पूरा करने के लिए अंतिम चेतावनी के तहत एक माह का समय दें. शर्तों को पूरा करने में एजेंसी फेल हो तो टर्मिनेशन नोटिस जारी करें. साथ ही एजेंसी को निगम की ओर से किए जा रहे भुगतान पर तत्काल रोक लगाएं.
नगर विकास विभाग जिम्मेदार
मेयर ने कहा कि Zonta Infra का चयन नगर विकास विभाग से किया गया है. उनके निर्देश पर ही स्मार्टबिन लगाने व उसकी सफाई के लिए नगर निगम ने एजेंसी के साथ एकरारनामा किया था. एजेंसी की ओर से की जा रही लापरवाही के प्रति नगर विकास विभाग ही जिम्मेदार है.