
Ranchi: राजधानी रांची हेल्थ हब बनता जा रहा है. एक के बाद एक नए हॉस्पिटल और क्लिनिक खुल रहे है. वहीं मरीजों को बेहतर सुविधा देने के दावे भी किए जाते है. लेकिन शहर में चल रहे सैकड़ों हॉस्पिटल-क्लिनिक का लाइसेंस एक्सपायर हो चुका है. जिसकी जानकारी भी स्वास्थ्य विभाग के पास है. लेकिन उनके खिलाफ एक्शन लेने वाले अधिकारी ही आईवॉश करने में लगे है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी राजधानी में केवल एक दर्जन हॉस्पिटलों में रैंडम छापेमारी की गई. जिसमें सभी के लाइसेंस भी फेल पाए गए. इसके बावजूद उन पर कार्रवाई करने के बजाय केवल नोटिस थमाकर छोड़ दिया गया.
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750 से अधिक सेंटर है रांची


केवल रांची राजधानी की बात करें तो छोटे-बड़े हॉस्पिटल-क्लिनिक मिलाकर 750 से अधिक सेंटर चल रहे है. जिसके संचालन के लिए क्लिनिकल इस्टैबलिशमेंट एक्ट के तहत लाइसेंस लेना जरूरी है. वहीं हर साल लाइसेंस का रिन्युअल भी कराना है. इतना ही नहीं न्यू रजिस्ट्रेशन और प्रोविजनल लाइसेंस के लिए भी एक समय निर्धारित है. इसके बावजूद नियमों की अनदेखी की जा रही है. वहीं संचालकों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से उन्हें विभाग द्वारा समय पर समय दिया जा रहा है.




केवल 9 सेंटरों पर छापेमारी
7 मई को रांची में शौर्य श्योर डायग्नॉस्टिक सेंटर बुढ़मू चौक और साईं सेवा सदन राय में छापेमारी की थी. वहीं पार्क एक्सरे रेडियम रोड, अल्ट्रासाउंड क्लिनिक रेडियम रोड, रांची नर्सिंग होम बूटी मोड़, रांची एंड एडवांस्ड डायग्नॉस्टिक सेंटर बूटी मोड़ में भी छापेमारी की गई. कार्रवाई करने की बजाय दोनो संस्थानों से स्पष्टीकरण पूछा गया और 48 घंटे के अंदर जवाब मांगा. इससे पहले 5 मई को बरियातू के हेरीटेज कंपाउंड स्थित सीमा अल्ट्रासाउंड और 30 अप्रैल को छापेमारी ईस्ट जेल रोड स्थित वेल्लोर चिल्ड्रेन हॉस्पिटल और आरके इमेजिंग सेंटर रेडियम रोड में की गई. इन दोनों का भी रजिस्ट्रेशन फेल था.
5 लाख रुपए तक है फाइन
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रजिस्ट्रेशन फेल पाए जाने की स्थिति में पहली बार 50 हजार रुपए फाइन करने का प्रावधान है. वहीं दूसरी बार पकड़े जाने पर 2 लाख और तीसरी बार 5 लाख रुपए तक फाइन का प्रावधान है. वहीं लाइसेंस लंबे समय तक फेल होने की स्थिति में उसे रद्द करने का भी प्रावधान है. इसके बावजूद जिम्मेवार अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे है.
इस मामले में सिविल सर्जन रांची डॉ विनोद कुमार ने कहा कि जिनका भी लाइसेंस फेल है उन्हें इसके लिए समय दिया गया है. एक जून के बाद से हमारा अभियान चलेगा. इसके बाद एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी.
क्या है नियम
-प्रोविजनल रजिस्ट्रेशन के फेल होने के एक महीने पहले करना है अप्लाई
-डेट एक्सपायरी के बाद आवेदन करने पर हर दिन 100 रुपए फाइन का प्रावधान
-परमानेंट लाइसेंस के रिन्युअल लिए पांच साल पूरा होने पर 90 दिन पहले करना है अप्लाई
-एक्सपायरी के बाद एक महीने तक आवेदन नहीं करने पर रजिस्ट्रेशन करना है रद्द
-हॉस्पिटल के इंट्रेंस या रिसेप्शन पर लगाना है रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट
-रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को किसी और के नाम से नहीं किया जा सकता ट्रांसफर
-हॉस्पिटल में उपलब्ध कराए जाने वाले सर्विस की डिटेल्स और रेट डिस्पले लगाना
-रजिस्ट्रेशन आथोरिटी को हर साल जून में सर्विस डिटेल की कापी उपलब्ध कराना
-हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टरों की पूरी लिस्ट रिजस्ट्रेशन नंबर के साथ रिसेप्शन काउंटर पर डिसप्ले कराना.
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