
Akshay Kumar Jha
Ranchi : क्लीन स्वीप का टारगेट लेकर इस बार लोकसभा चुनाव में उतरने वाली बीजेपी के लिए रांची लोकसभा की सीट सबसे अहम हो गयी है. रांची की फाइट सीधे तौर पर नाक की लड़ाई बतायी जा रही है. दरअसल, राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा खूब है कि झारखंड में जहां भी उम्मीदवारों का फेस बदला है, वहां सीएम रघुवर दास की चली है.
बताया जा रहा है कि रांची सीट संजय सेठ की झोली में जाने के पीछे भी रघुवर दास का ही वीटो था. ऐसे में रांची लोकसभा सीट बीजेपी झारखंड के लिए और खुद रघुवर दास के लिए काफी अहम हो गया है. इस सीट को जीतने के लिए पार्टी की तरफ से किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है.
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दो घंटे रांची की सड़क पर मोदी
पांच दिन पहले तक मोदी की रांची में रोड शो की चर्चा कहीं नहीं थी. 24 अप्रैल को लोहरदग्गा में मोदी चुनावी सभा को संबोधित करने वाले हैं. 23 तारीख को मोदी दुर्गापुर होते हुए रांची पहुंच रहे हैं. एयरपोर्ट से बिरसा चौक तक 2.5 किमी के रोड शो से मोदी रांची के कार्यकर्ताओं में जान फूंकने का काम करेंगे.
उम्मीदवारी के तजुर्बे में जूनियर पड़ रहे संजय सेठ को इस रोड शो से कितना फायदा होगा वो तो 23 मई को पता चलेगा, लेकिन इस रोड शो के पीछे पार्टी का एक मात्र फंडा है कि किसी भी हाल में संजय सेठ की जीत तय हो सके.
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रांची की जीत बीजेपी की साख का सवाल
रांची लोकसभा सीट किस उम्मीदवार को दिया जाए, इस पर भी पार्टी की तरफ से काफी माथा पच्ची हुई थी. उम्र की वजह से रामटहल चौधरी का टिकट कटने के बाद कई मजबूत दावेदार रेस में थे. इन सबसे ज्यादा दावेदारी नवीन जायसवाल और आदित्य साहू की मानी जाती थी.
नवीन जायसवाल हटिया जैसे एक बड़े विधानसभा के विधायक हैं और रांची के दूसरे विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों पर भी इनकी काफी पकड़ है. चुनाव लड़ने का इनके पास तजुर्बा भी था. बावजूद इसके टिकट संजय सेठ को दिया गया.
इसलिए संजय सेठ का यहां से जीतना प्रदेश बीजेपी की नाक की लड़ाई मानी जा रही है. रघुवर दास ग्रामीण इलाकों में खुद रोड शो करके यह पुख्ता करना चाह रहे हैं कि संजय सेठ की जीत तय हो.
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