
Ranchi : सरकार का निर्देश मिलने के बाद रांची नगर निगम अपने वाटर यूजर चार्ज से वसूली की राशि को पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को देने लगा है. इससे निगम की जल बोर्ड शाखा के पास वित्तीय संकट खड़ा होता दिख रहा है.
इसे देख नगर आयुक्त मनोज कुमार ने नगर विकास विभाग के मुख्य सचिव को एक पत्र लिखकर कहा है कि बढ़ती गर्मी को देखते हुए निगम द्वारा अतिरिक्त स्त्रोतों (बोरिंग, ट्रैंकर) से आमजनों को पानी देने के लिए करीब 19. 77 करोड़ रुपये राशि उपलब्ध कराएं.
दो वर्ष पहले भी तत्कालीन सरकार से एक बड़ी राशि की मांग हुई थी, लेकिन यह राशि उस समय नहीं मिली थी.
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वार्ड में दिखने लगी है पेयजल संकट की स्थिति
बताया गया है कि राजधानी के 70 प्रतिशत आबादी के पास पर्याप्त जलापूर्ति की सुविधा नहीं है. ऐसे में सभी लोग बोरिंग पर ही आश्रित हैं. वहीं गर्मी के पहले ही कई वार्डों में भूमिगत जलस्तर कम होने लगा है. वार्ड 26 के कई मोहल्लों में अभी से पेयजल संकट की स्थिति दिखने लगी है.
हरमू हाउसिंग कॉलोनी, अरगोड़ा, बुद्ध विहार, शिवदयाल नगर, मुक्तिधाम के आसपास के इलाके, हरमू मोड़ आदि ऐसे पानी की किल्लत वाले इलाके में शामिल हैं.
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2018 में भी तत्कालीन सरकार ने नहीं दी थी वित्तीय मदद
पत्र में नगर आयुक्त ने विभागीय सचिव को लिखा है कि पानी की किल्लत को देखते हुए वित्तीय वर्ष 2018-19 के शुरूआत में भी तत्कालीन सरकार से एक राशि मांगी गयी थी. मार्च 2018 को निगम ने करीब 11.13 करोड़ की राशि विभाग से मांगी थी.
वहीं पिछले वर्ष जब गर्मी अपने जोरों पर थी, तो जून 2019 को भी विभाग से 9.02 करोड़ रुपये मांगी गयी थी. लेकिन दोनों ही बार निगम को विभाग से निराशा हाथ लगी थी. दूसरी तरफ मुख्य सचिव के अक्टूबर 2018 को दिये निर्देश के बाद शहरी जलापूर्ति का संचालन पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा किया जा रहा है.
इससे निगम द्वारा वसूले जाने वाले वाटर यूजर चार्ज मद से वसूल किये जा रही राशि विभाग के कार्यपालक अभियंता को सौंप दी जाती है. इससे राजधानीवासियों को पेयजल सुविधा देने में निगम के पास वित्तीय परेशानी आ गयी है.
19.11 करोड़ रुपये की हुई है मांग
नगर आयुक्त ने कहा कि पेयजल विभाग को राशि देने और गर्मी को देखते हुए निगम को राजधानी के विभिन्न वार्डों में नये बोरिंग (मिनी एचवाईडीटी), चापाकल मरम्मति कार्य, टैंकर से जलापूर्ति के लिए एक बड़ी राशि की आवश्यकता है.
इसे देखते हुए वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2020-21 में निगम को कुल 19.11 करोड़ रुपये राशि की मांग की गयी है. बता दें कि राजधानी में कुल चापाकलों की अनुमानित संख्या 3000 और मिनी एचवाईडीटी और एचवाईडीटी की संख्या क्रमशः 1200 और 166 है.
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