
Saurav Singh
Ranchi : सुसाइड सिटी बनती जा रही है राजधानी. यहां आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. हर दो दिन में औसतन एक व्यक्ति आत्महत्या कर अपनी जान दे रहा है. हर उम्र के लोग आत्महत्या कर रहे हैं. कभी परीक्षा में कम नंबर, कभी आर्थिक तंगी तो कभी प्रेम प्रसंग बनती है आत्महत्या का कारण.
बात अगर जून महीने करें तो यहां एक जून से 30 जून तक 12 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी. आत्महत्या करने वाले 12 लोगों में जहां सात लोगों ने परिवारिक कलह और मानसिक तनाव की वजह से आत्महत्या कर ली. तो वहीं पांच लोगों ने नौकरी नहीं मिलने और परीक्षा में कम नंबर आने या फेल होने की वजह से अपनी जान दे दी. आत्महत्या करने वाले लोगों में अधिकतर युवा शामिल हैं.


नौकरी और पढ़ाई के कारण की आत्महत्या


धुर्वा थाना क्षेत्र के रहने वाले युवक राहुल कुमार और लोअर बाजार थाना क्षेत्र की रहने वाली दिव्या कुमारी ने पढ़ाई के बाद नौकरी नहीं मिलने की वजह से अपनी जान दे दी.
वहीं नामकुम के रहने वाले फुल्लित खलखो, राजकीय पॉलटेक्निक की छात्रा मोनिका हेंब्रम और लालपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले विशाल कुमार ने परीक्षा में कम नंबर आने की वजह से आत्महत्या कर ली.
पारिवारिक विवाद-मानसिक तनाव बना मौत का कारण
राजधानी रांची में पिछले 30 दिनों में 12 आत्महत्या की घटना सामने आयी है. जिसमें सात लोगों ने आत्महत्या सिर्फ इसलिए की क्योंकि वो मानसिक तनाव में थे या फिर पारिवारिक विवाद जैसी समस्या से परेशान थे.
धुर्वा में राजवंश सिंह, सदर थाना क्षेत्र में गुड़िया देवी और सुखदेव नगर थाना क्षेत्र में प्रमोद कुमार, टाटीसिलवे में एक युवक, जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के लटमा में रहने वाली एक महिला और सिरम टोली में रहने वाले पाहन राहुल हंस ने आत्महत्या कर ली. इन सभी ने पारिवारिक विवाद और मानसिक तनाव के कारण अपनी जा दे दी.
युवाओं में बढ़ी है आत्महत्या की प्रवृत्ति
इन दिनों युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है. आत्महत्या के ग्राफ में युवाओं की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है. इस तरह की घटनाओं के पीछे की वजह यह मानी जा रही है कि आज कल युवाओं धैर्य की कमी हो गयी है. साथ ही बर्दाश्त करने की क्षमता भी कम होती जा रही है. जिसके कारण युवा वर्ग के लोग आत्महत्या की ओर बढ़ रहे हैं. पिछले 30 दिनों में आत्महत्या करने वालों में ज्यादातर युवा वर्ग के लोग शामिल हैं.
27.6 फीसदी आत्महत्या की वजह पारिवारिक समस्या
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में कुल आत्महत्या में करीब 27.6 फीसदी आत्महत्याओं का कारण पारिवारिक समस्या है. जबकि करीब 26 फीसदी लोग अन्य कारणों से अपनी जान दे देते हैं.
आत्महत्या को रोकने के लिए उठाए गए हैं कदम
भारत में अलग-अलग स्तर पर युवाओं को आत्महत्या से रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाये गये हैं. इसमें स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक कोशिश की जा रही है.
निराशा के दौर में विद्यार्थी गलत कदम न उठायें इसके लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एग्जामिनेशन(CBSE), इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन (ICSE) और यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (UGC) ने स्कूलों और विश्वविद्यालयों में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए काउंसलिंग की व्यवस्था अनिवार्य कर दी है.
30 दिनों में 12 लोगों ने की आत्महत्या
1 जून : धुर्वा थाना क्षेत्र के डीटी 421 निवासी राजवंश सिंह उर्फ धोती सिंह ने देर रात अपने घर पर अपनी नस काट कर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
6 जून : सदर थाना क्षेत्र के आनंद बिहार कॉलोनी में किराये के घर में रहनेवाली बीएसएफ जवान की पत्नी गुड़िया देवी का शव गमछा के सहारे पंखे से लटका मिला था.
8 जून : धुर्वा थाना क्षेत्र के आदर्श नगर में राहुल कुमार नाम के एक युवक ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
10 जून : सुखदेवनगर थाना क्षेत्र में प्रमोद कुमार का शव संदिग्ध परिस्थित में फांसी के फंदे से लटका मिला था.
11 जून : लोअर बाजार थाना क्षेत्र के कुम्हार टोली की रहने वाली 27 वर्षीय दिव्या कुमारी ने नौकरी नहीं मिलने से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी.
17 जून : राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज की छात्रा मोनिका हेंब्रम ने आत्महत्या कर ली थी.
20 जून : जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र के विकास नगर रोड नंबर 4 में एक 30 वर्षीय महिला ने आत्महत्या कर ली थी.
21 जून : टाटीसिलवे स्टेशन के पास एक युवक ने ट्रेन से कटकर अपनी जान दे दी थी.
24 जून : नामकुम थाना क्षेत्र में फुल्लित खलखो ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी.
26 जून : नामकुम रेलवे ब्रिज से कूदकर एक युवक ने आत्महत्या कर ली थी.
29 जून : लालपुर थाना क्षेत्र के लोहराकोचा में रहने वाले इंटरमीडिएट के छात्र विशाल कुमार ने आत्महत्या कर ली थी.
29 जून : चुटिया थाना क्षेत्र के सिरम टोली में रहने वाले पाहन राहुल हंस ने आत्महत्या कर अपनी जान दे दी थी.