
Naveen Sharma
फिल्म निर्देशक गोविंद निहलानी की कल्ट फिल्म अर्द्धसत्य को उसकी ऊंचाई पर ले जाने में जितना योगदान ओम पुरी के इंटेंस अभिनय का है करीब-करीब उतना ही सदाशिव अमरापुरकर (Sadashiv Amrapurkar) के जबरदस्त अभिनय का भी है.विलेन रामा शेट्टी के किरदार को सदाशिव अमरापुरकर ने बहुत ही शिद्दत से निभाया है.
वर्षों बाद भी यह किरदार जहन में इसलिए याद रह जाता है क्योंकि यह एक अलग अंदाज का खलनायक था.यह अमरीश पुरी की तरह अनूठे लुक पर निर्भर नहीं था.रामा शेट्टी एकदम साधारण आदमी की तरह घर में गंजी और लूंगी पहन कर बैठा रहता है.उसे अपनी दरिंदगी और शातिरपना दिखाने के लिए कोई अलग से मेकअप की दरकार नहीं पड़ती बल्कि वो अपने हावभाव और बोली से इस बखूबी जाहिर कर देते हैं.


सदाशिव अमरापुरकर ने 300 से ज्यादा हिंदी, मराठी, बंगाली, ओडिया और हरियाणवी फिल्मों में काम किया था.अमरापुरकर आखिरी बार 2012 में बॉम्बे टॉकीज में फिल्मी पर्दे पर नजर आए थे।




जिंदगी का सफर
सदाशिव का जन्म महाराष्ट्र के नासिक में 11 मई 1950 को हुआ था.उनका बचपन का नाम गणेश कुमार नोरवाडे था.1974 में इन्होंने अपना नाम सदाशिव रख लिया.महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में जन्मे अमरापुरकर को करीबी मित्र तत्य कहकर पुकारते थे.
सदाशिव का विवाह सुनंदा करमाकर के साथ हुआ. पुणे कॉलेज से इतिहास में एमए कर चुके अमरापुरकर ने कॉलेज के दिनों से ही थियेटर और फिल्मों के लिए काम करना शुरू कर दिया था.
थियेटर से फिल्मों में आये, राष्ट्रीय अवॉर्ड पाया
1981 में मराठी नाटक हैंड्स अप में अभिनय के दौरान अमरापुरकर की मुलाकात डायरेक्टर गोविंद निहालनी से हुई.गोविंद अपनी फिल्म अर्द्धसत्य के लिए कलाकारों का चयन कर रहे थे.
फिल्म अर्ध सत्य में सदाशिव अमरापुरकर ने कॉरपोरेट रामा शेट्टी का किरदार निभाया.इसी फिल्म के लिए अमरापुरकर को 1984 में सर्वश्रेष्ठ सह कलाकार का राष्ट्रीय अवॉर्ड मिला।
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1987 में आयी फिल्म हुकूमत में उन्होंने धर्मेद्र के साथ काम किया.इस फिल्म में सदाशिव ने मुख्य खलनायक का किरदार निभाया और यह फिल्म ब्लॉकबस्टर रही.अर्द्धसत्य के बाद अमरापुरकर ने पुराना मंदिर, नासूर, मुद्दत, वीरू दादा, जवानी, और फरिश्ते जैसी फिल्मों में रोल किए.
सड़क में महारानी का दमदार किरदार, फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला
फिल्म निर्देशक महेश भट्ट की 1991 में रिलीज हुई फिल्म सड़क में एक बार फिर सदाशिव अमरापुरकर ने बेहतरीन अभिनय किया.संजय दत्त और पूजा भट्ट के लीड रोल वाली इस फिल्म में कोठे की मालकिन महारानी के दमदार रोल के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ खलनायक का फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला.
इश्क़ में कॉमेडियन का रोल
अच्छा अभिनेता वही है जो किसी खास इमेज में खुद को बंधने ना दे. सदाशिव ने भी ये कोशिश की.इसलिए विलेन के ठीक विपरीत जाकर उन्होंने कॉमेडियन के रूप में भी कई फिल्मों में काम किया था.आमिर खान, अजय देवगन, काजोल व जूही चावला की सुपरहिट फिल्म इश्क़ में सदाशिव कॉमेडियन के रोल में जमे थे.
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सामाजिक संगठनों से जुड़ कर की समाज सेवा
अपने विलेन और कॉमिडी के किरदार के साथ सदाशिव अमरापुरकर ने सिर्फ सिनेमा के लिए ही नहीं बल्कि सोसायटी के लिए भी काफी काम किया. सदाशिव अमरापुरकर फिलैन्ट्रॉफिस्ट, सोशल एक्टिविस्ट तो थे ही, साथ में वह कई सामाजिक संगठनों के साथ जुड़े भी हुए थे.
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति, स्नेहालय, लोकशाही प्रबोधन व्यासपीठ, अहमदनगर ऎतिहासिक वास्तु संग्रहालय जैसे संगठनों से वह प्रमुखता से जुड़े हुए थे.
ग्रामीण युवकों के विकास के लिए वह निरंतर प्रयास करते रहे.सदाशिव अमरापुरकर फिल्मों के अलावा छोटे पर्दे पर भी नजर आए.टीवी शो शोभा सोमनाथ की में उनके काम को खूब सराहा गया.
सदाशिव अमरापुरकर आखिरी बार मीडिया में उस वक्त दिखाई दिए जब होली के मौके पर पानी की बर्बादी रोकने की कोशिश के बाद उनके साथ मारपीट हुई.
25 अक्टूबर 2014 से सदाशिव फेफड़ों में इंफेक्शन के चलते मुंबई के अस्पताल में भर्ती कराया गया था.इसके बाद तीन नवबंर को अमरापुरकर का निधन हो गया.
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