
Nitesh Ojha
Ranchi : झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के चुनाव तिथि की घोषणा के साथ सत्ता और विपक्ष दोनों एक्टिव मोड में आ गये हैं. राज्य में राज्यसभा की 2 सीटें 9 अप्रैल को खाली हो रही हैं.
Slide content
केंद्रीय निर्वाचन आयोग ने दोनों ही सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव तिथि घोषित की है. निर्वाचन आयोग के मुताबिक चुनाव प्रक्रिया 6 मार्च से शुरू होगी. 26 मार्च को बैलेट पेपर के जरिये मतदान कराया जायेगा.
इसी दिन शाम को 5 बजे नतीजे घोषित कर दिये जायेंगे. दोनों ही सीटें जीतने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार मजबूती के साथ चुनावी रणनीति पर काम कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक इसमें बीजेपी के दो विधायकों पर कानूनी दबाव का भी सहारा लिया जा सकता है. दोनों में एक सीट कांग्रेस और दूसरे में जेएमएम अपना प्रत्याशी उतार सकती है.
जेएमएम कोटे से पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन को प्रत्याशी बनाया जा सकता है. वहीं कांग्रेस कोटे से प्रत्याशी को लेकर मंथन शुरू हो गया है.
बता दें कि निर्दलीय सांसद परिमल नथवाणी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रेमचंद गुप्ता का कार्यकाल 9 अप्रैल, 2020 में खत्म हो रहा है.
इसे भी पढ़ें : #Jharkhand के क्षेत्रीय दलों में सबसे अधिक चंदा AJSU पार्टी को, JVM दूसरे व JMM तीसरे नंबर पर रहे
पटकथा की शुरुआत जनवरी के पहले सप्ताह में ही
दोनों सीटें जीतने की पटकथा तो जनवरी के पहले सप्ताह में ही देखने को मिली थी, जब विधानसभा के विशेष सत्र को लेकर एक बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर बुलायी गयी थी.
बैठक में यूपीए विधायकों के अलावा गैर बीजेपी और निर्दलीय विधायक भी पहुंचे थे. इसमें यूपीए के घटक दलों (इसमें एनसीपी के कमलेश सिंह), माले विधायक विनोद सिंह के अलावा दो निर्दलीय विधायक सरयू राय और अमित यादव (बरकट्टा विधायक) सहित जेवीएम के बाबूलाल शामिल थे.
हालांकि बाबूलाल बीजेपी में चले गये हैं. लेकिन उनकी पार्टी जेवीएम के 2 विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं.
सीटों की गिनती से जेएमएम की एक सीट पर जीत तय
दोनों सीटों के लिए होने वाले चुनाव के लिए इस बार कुल 80 विधायक वोटों डालेंगे. ऐसे में राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक प्रत्याशी को कम से कम 27 विधायकों का वोट जरूरी होगा.
जेएमएम के पास 29 विधायक हैं. ऐसे में जेएमएम का एक सीट पर चुनाव जीतना तय है.
बाबूलाल मरांडी के बीजेपी में शामिल होने के बाद इस पार्टी के सदस्यों की संख्या 26 हो गयी है. आजसू पार्टी के 2 विधायकों को मिला लें, तो बीजेपी समर्थक विधायकों की संख्या 28 हो जाती है.
वैसे आजसू का स्टैंड पूरी तरह से अभी क्लियर नहीं है. सत्तासीन गठबंधन उन्हें अपनी तरफ करने का पूरी कोशिश कर सकता है.
गौर करने वाली बात यह भी है कि 29 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाली हेमंत सरकार को विधानसभा के पहले ही दिन 55 विधायकों का समर्थन मिला था.
सत्र के दौरान विधानसभाध्यक्ष के चुनाव के मुद्दे पर यूपीए के साथ गैर बीजेपी विधायकों (कुल 55 विधायकों, जिसमें आजसू भी शामिल है) ने सीएम हेमंत सोरेन के साथ एकजुटता दिखायी थी.
इसके अलावा कांग्रेस के जीते 16 विधायकों के अलावा बंधु और प्रदीप के आने से विधायकों की संख्या 18 हो गयी है.
इसे भी पढ़ें : राशि के अभाव में रांची के सांसद आदर्श ग्राम पर मंडरा रहा कुपोषण का साया, धन और विजन दोनों की कमी
बीजेपी के लिए आजसू का वोट अहम
राज्यसभा चुनाव की सरगर्मी शुरू होते ही राजनीतिक उठा पटक साफ तौर से देखी जा रही है. ढुल्लू महतो पर पुलिसिया कार्रवाई को भी राजनीतिक एंगल से जोड़ कर देखा जा रहा है.
वहीं खबर यह भी है कि चुनाव से पहले विपक्षी पार्टी के एक और विधायक पर कानूनी चाबुक चल सकता है. बीजेपी को अगर अपने उम्मीदवार को जीत हासिल कराना है तो निश्चित तौर पर उसे आजसू का साथ चाहिए होगा.
यह तय है कि आजसू का साथ जिसे मिलेगा उसका उम्मीदवार ही जीत पायेगा. वैसे कांग्रेस खेमे के पास घोषित रूप से अपने 18 विधायक हैं. कमलेश सिंह, अमित यादव, सरयू राय, विनोद सिंह और जेएमएम कोटे का दो वोट भी है.
इस हिसाब से कांग्रेस के पास 24 वोट हैं. गठबंधन की सरकार को अपने दोनों उम्मीदवार जिताने के लिए और तीन वोटों की जरूरत पड़ेगी. इन्हीं तीन वोट के लिए राजनीति अपने पूरे परवान पर है.
इसे भी पढ़ें : रांची, जमशेदपुर, धनबाद, हजारीबाग और बोकारो में कानून-व्यवस्था और अनुसंधान के लिए बनेंगी अलग-अलग टीमें