
Gyan Ranjan
Ranchi: राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही झारखण्ड में भी चुनावी सरगर्मी बढ़ गयी है. मंगलवार सुबह से जहां सूबे में ईडी की छापेमारी चर्चा में थी, वहीँ दोपहर बाद राजनीतिक हलके में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल इस बार झारखंड के रास्ते झामुमो की टिकट पर सवार होकर राज्यसभा जायेंगे. ऐसा नहीं है कि यह चर्चा आज से ही शुरू है. न्यूज़ विंग ने सोमवार को ही इस बात का संकेत दिया था कि कपिल सिब्बल झारखंड से सत्ताधारी गठबंधन के साझा प्रत्याशी होंगे.
कपिल सिब्बल के नाम की चर्चा के पीछे कई वजह हैं. सबसे बड़ी वजह यह है कि कपिल सिब्बल खदान लीज प्रकरण में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की वकालत झारखंड हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में कर रहे हैं. इसके एवज में कपिल सिब्बल ने उनसे राज्यसभा सीट की मांग की है. मंगलवार को इस प्रकरण के ज्यादा चर्चा में आने के पीछे वजह यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बुलावे पर बुधवार को दिल्ली जा रहे हैं. दिल्ली में झामुमो और कांग्रेस के बीच राज्यसभा चुनाव पर चर्चा होगी. कहा यह जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान नहीं चाहती है कि कपिल सिब्बल को झामुमो अपना प्रत्याशी बनाए इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि कपिल सिब्बल कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ G-23 के अहम् किरदार थे. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांग्रेस के इस तर्क से सहमत नहीं हैं.


आंकड़ों की बात की जाये तो झामुमो के पास राज्यसभा भेजने के लिए जादुई आंकड़े से दो वोट ज्यादा हैं. ऐसे में झामुमो कांग्रेस के सहारे के बिना भी एक सीट अपने कब्जे में कर सकता है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस द्वारा इस बार लगातार राज्यसभा के लिए दावेदारी की जा रही थी, प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता सभी मुख्यमंत्री से मिलकर इसको लेकर दवाब बनाए लेकिन झामुमो ने पहले ही ये साफ़ कर दिया था कि प्रत्याशी झामुमो का ही होगा.


इसे भी पढ़ें :नेहरू-गांधी परिवार की गणेश परिक्रमा में लगी कांग्रेस का उद्धार नामुमकिन
2016 में यूपी से समाजवादी पार्टी के समर्थन से चुने गए थे सिब्बल
वर्ष 2016 में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल यूपी से राज्यसभा के लिए चुने गए थे. उस समय भी इन्हें राज्यसभा पहुंचाने में समाजवादी पार्टी का बड़ा हाथ था. समाजवादी पार्टी का समर्थन मिलने से ही ये उच्च सदन तक पहुंचे थे. जुलाई महीने में सिब्बल का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है. इस बार यूपी में उनकी बात नहीं बन रही है. यूपी में विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 2 विधायक हैं, इसलिए वह किसी को भी चुनने की स्थिति में नहीं है.
सिब्बल को राज्यसभा जाने के लिए झारखण्ड सेफ दिख रहा है और वे इसको लेकर शुरू से ही संजीदा भी थे. हालाँकि सिब्बल समाजवादी पार्टी के नेताओं के अदालती मामले में भी शामिल हैं. इस बीच यह भी जानकारी मिल रही है कि सिब्बल कांग्रेस के आधिकारिक सूची की प्रतीक्षा कर रहे हैं. यदि कांग्रेस पार्टी सिब्बल को झारखण्ड में जगह देगी तो वह झामुमो के सहारे आसानी से राज्यसभा पहुँच सकते हैं यदि कांग्रेस किसी कारणवश ऐसा नहीं करती है तो सिब्बल के पास झामुमो भी बेहतर विकल्प है.
इसे भी पढ़ें :कांग्रेस में सुधार के लिए सोनिया ने बनाया टास्क फोर्स-2024, प्रियंका-चिदंबरम समेत कई नेता शामिल