
New dehli : राज्यसभा में 20 सितंबर को कृषि विधेयक पारित करने के दौरान विपक्ष के सांसदों की मांग कि इस मसले पर मत विभाजन होना चाहिए था, को उपसभापति हरिवंश ने ठुकरा दिया था. उस दिन हंगामें के बीच कृषि विधेयक पारित किए गए थे. हंगामे में शामिल विपक्ष के 8 सांसदों को सभापति ने पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया था. इस मामले पर अब राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने स्पष्टीकरण जारी किया है कि उन्होंने विपक्ष की मांग को क्यों नहीं माना.
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प्रक्रिया के अनुसार पारित हुए विधेयक
उप सभापति हरिवंश ने कहा कि 20 सितंबर को कृषि विधेयकों को सदन की प्रक्रिया के अनुसार पारित कराया गया था. उन्होंने कहा कि विपक्ष के मत विभाजन की मांग को नहीं माना गया क्योंकि सदन में हंगामा किया जा रहा था और व्यवस्था नहीं थी. अपने स्पष्टीकरण में हरिवंश कहते हैं कि ‘मैं एक संवैधानिक पद पर हूं और इसलिए एक औपचारिक खंडन जारी नहीं कर सकता. मैं इन तथ्यों को आपके ध्यान में ला रहा हूं और इसे आपके निर्णय के लिए, आपके विवेक पर छोड़ देता हूं.’उप सभापति ने कहा, ‘नियमों और चलन के अनुसार मत विभाजन के लिए दो चीज जरूरी हैं. पहला मत विभाजन की मांग की जानी चाहिए. दूसरा यह भी इतना ही महत्वपूर्ण है कि सदन व्यवस्थित तरीके से चल रहा हो. कुछ दिनों पूर्व एक अंग्रेजी अखबार में खबर छपी थी कि राज्यसभा सांसद केके रागेश और तिरुचि शिवा 20 सितंबर को कृषि विधयेकों को पास करने के दौरान अपनी सीट से मत विभाजन की मांग कर रहे थे. विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहित विपक्षी सांसदों ने उस दिन सदन का बहिष्कार किया था.
विपक्ष का दावा की उपसभापति ने मत विभाजन से इंकार किया
विपक्ष का दावा था कि उपसभापति हरिवंश ने मत विभाजन से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्होंने उच्च सदन का बहिष्कार किया. इस मामले में राज्यसभा के सभापति वेकैंया नायडू ने 8 सांसदों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया था. इसके बाद विपक्षी दलों ने संसद परिसर में धरना दिया था. सदन की कार्यवाही का भी बहिष्कार किया. विपक्ष ने बाद में लोकसभा की कार्यवाही का भी बहिष्कार कर दिया. मामले में उपसभापति हरिवंश ने कहा कि अध्यादेश को अस्वीकार करने वाले प्रस्ताव और विधेयकों को संसदीय कमेटी में भेजे जाने की मांग वाले केके रागेश के संशोधन को 1.07 बजे सदन ने ध्वनिमत से नकार दिया और कई सदस्य आसन के पास आ गए थे और उस समय वे अपनी सीटों पर नहीं थे.
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बयान के साथ वीडियो जारी किया
उपसभापति ने अपने बयान के साथ वीडियो भी जारी किए हैं. उन्होंने कहा कि वीडियो में देखा जा सकता है कि उन्हें अपना प्रस्ताव और संशोधन को पेश करने के लिए कहे जाने के बाद, ‘मैंने गैलरी की तरफ देखा, लेकिन वह (रागेश) वहां नहीं थे.’ उन्होंने बयान में 20 सितंबर की घटना के संबंध में विस्तार से घटनाक्रम भी दिया है. गौरतलब है कि इस मामले में विपक्षी सांसदों ने उपसभापति को लिखे अपने पत्र में पूछा था कि क्या उन्होंने (उपसभपाति ने) प्रधानमंत्री को तुष्ट’ करने के लिए कृषि विधेयकों को पास करने के दौरान संसदीय प्रक्रियाओं की अनदेखी की.
केके रागेश ने लिखा, ‘यह आश्चर्य की बात है कि आप (हरिवंश) जैसा व्यक्ति, जो समाजवादी होने का दावा करता है, राजनीतिक समानता अपनाने के प्रति असली घटनाओं की उपेक्षा करने के लिए ऐसा दोहरा रुख दिखा सकता है.’ विपक्षी दलों ने उस घटना के बाद उपसभापति के प्रति अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग की थी. इस मांग को सभापति ने ठुकरा दिया था.
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