
NewDelhi : गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि भीड़ हिंसा के बारे में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों में बदलाव करने के बारे में समिति का गठन कर सभी संबद्ध पक्षों के साथ विचार विमर्श किया जा रहा है.
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शाह ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि इस बारे में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों और राष्ट्रपति शासन वाले राज्यों के राज्यपालों को पत्र लिखकर सुझाव मांगे गये हैं. उन्होंने बताया कि राज्यों से आपराधिक मामलों की जांच से जुड़े विशेषज्ञों और लोक अभियोजकों से इस विषय में सुझाव एकत्र कर अवगत कराने को कहा गया है.
कहा कि इसके साथ ही पुलिस शोध और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के तत्वावधान में एक समिति का गठन किया गया है जो आईपीसी और सीआरपीसी में आमूल चूल बदलाव के लिए विचार कर रही है. सभी पक्षों के सुझाव मिलने के बाद हम कार्रवाई करेंगे और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को भी ध्यान में रखा जायेगा.
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आईपीसी में भीड़ हिंसा की अभी कोई परिभाषा तय नहीं है.
भीड़ हिंसा को रोकने के लिए दो राज्यों की विधानसभा से विधेयक पारित होने और राष्ट्रपति के समक्ष विचारार्थ पेश किये जाने के बारे में पूछे गये एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि मणिपुर और राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति द्वारा परामर्श की प्रक्रिया अभी चल रही है. राय ने यह भी कहा कि आईपीसी में भीड़ हिंसा की अभी कोई परिभाषा तय नहीं है.
उन्होंने कहा, इस मामले पर विचार विमर्श करने और सिफारिशें देने के लिए सरकार ने मंत्रियों का एक समूह गठित किया था जिसकी बैठक हो चुकी है. सरकार इस मामले से अवगत है. द्रमुक के तिरुचि शिवा ने पूछा था कि भीड़ हिंसा रोकने के लिए मणिपुर और राजस्थान द्वारा पारित विधेयकों को राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा गया है, इसकी मौजूदा स्थिति क्या है.
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सदन में किसी समुदाय की बात न करें : एम वेंकैया नायडू
राय ने इसके जवाब में कहा, मणिपुर और राजस्थान की विधानसभा द्वारा पारित दो विधेयक प्राप्त हुए हैं, जिन्हें राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ सुरक्षित रखा गया है. इस प्रकार के विधेयकों की जांच केन्द्रीय मंत्रालयों के साथ परामर्श कर की जाती है. अभी इस पर परामर्श चल रहा है. इस दौरान सभापति एम वेंकैया नायडू ने भीड़ हिंसा में समुदाय विशेष के लोगों को निशाना बनाये जाने की बात कुछ सदस्यों द्वारा सदन में उठाये जाने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, देश को बदनाम न करें और सदन में किसी समुदाय की बात न करें.
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