
NewDelhi : वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर मंथन के लिए तीन दिवसीय रायसीना डायलॉग का शुभारंभ मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. उद्घाटन सत्र में नाटो के पूर्व महासचिव अनस राममुसन, न्यूजीलैंड की पीएम हेलेन क्लार्क, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई, कनाडा के पूर्व पीएम स्टीफन हार्पर, स्वीडन के पूर्व पीएम कार्ल ब्लिडट, भूटान के पूर्व पीएम शिरिंग तोग्बे, दक्षिण कोरिया के पूर्व पीएम हान सांग सू ने वैश्विक चुनौतियों पर मंथन किया.
जान लें कि विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित रायसीना डायलॉग में 100 देशों के 700 प्रतिष्ठित लोग शामिल हो रहे हैं.
पहले दिन वैश्वीकरण के बाद दुनिया के सामने चुनौतियां, एजेंडा 2030, आधुनिक दुनिया में तकनीक का महत्व, जलवायु परिवर्तन पर चर्चा हुई. पहले दिन सात पूर्व राष्ट्र प्रमुखों ने अमेरिका-ईरान तनाव, अफगानिस्तान में शांति के प्रयास और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों पर अपने दृष्टिकोण रखा.



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राममुसन ने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक हूं
उद्घाटन सत्र में डेनमार्क के पूर्व पीएम और नाटो के पूर्व महासचिव अनस रासमुसन ने दमनकारी शासकों और शासन के खिलाफ दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों से साथ खड़े होने के लिए गठजोड़ की वकालत की. पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राममुसन ने कहा कि इस गठबंधन की अगुवाई भारत को करनी चाहिए. इस क्रम में राममुसन ने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशंसक हूं और भारत इस मुद्दे पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
भारत ने हिंद महासागर में लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है
पहले इस प्रतिष्ठित आयोजन में उद्घाटन भाषण देने वाले आस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कार्यक्रम के लिए वीडियो संदेश भेजा. आस्ट्रेलिया में भीषण आग के चलते उनका भारत दौरा रद्द हो गया है. अपने संदेश में मॉरिसन ने कहा, भारत इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की रणनीतिक धुरी है. इंडो-पैसिफिक शब्द इस मान्यता को दर्शाता है कि भारत की शक्ति और उद्देश्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं. भारत ने हिंद महासागर में लगातार सक्रिय भूमिका निभाई है.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारतीय विदेश नीति विभिन्न पक्षों के साथ व्यापक जुड़ाव की पक्षधर है. भारत वैश्विक अंतर्विरोधों का लाभ नहीं उठाता. हम बहुध्रुवीय दुनिया में अपने हितों को आगे बढ़ाते हुए दुनियाभर का अच्छा सोचते हैं.
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ईरान में सरकार बदलना जरूरी : हार्पर
उद्घाटन सत्र में ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या और उसके बाद अमेरिका-ईरान के बीच तनाव का मुद्दा उठा. पूर्व कनाडाई पीएम हार्पर ने कहा, जब तक ईरान की मौजूदा सरकार नहीं बदलती पश्चिम एशिया में शांति नहीं आ सकती. हार्पर ने कहा, उदार लोकतांत्रिक व्यवस्थाएं अपने ही देश में विरोध का सामना कर रही हैं.
मुझे लगता है कि उदार लोकतंत्रों की बड़ी ताकत यह है कि वे अक्सर गलत होते हैं लेकिन समय के साथ गलती सुधारते हैं. हार्पर ने पीएम मोदी के नेतृत्व की सराहना की और कहा कि भारत स्व-परिभाषित है. उन्होंने कहा कि भारत पश्चिमी उदारवादियों का गढ़ नहीं बनेगा. मौजूदा सरकार के नेतृत्व में देश अपनी पहचान तेजी से वापस पा रहा है.
करजई ने कहा, अमेरिका दबाव नहीं बना सकता
करजई ने कहा कि अमेरिका को यह समझना चाहिए कि वह दूसरे को अपनी बात मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकते. अमेरिका अफगानिस्तान के साथ ऐसा नहीं कर सका, तो ईरान के साथ कैसे कर सकता है? अमेरिका को समझदारी दिखानी चाहिए. करजई ने अफगानिस्तान में शांति के लिए सरकार और तालिबान के बीच बातचीत की उम्मीद जताई.
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