
Salanpur: केंद्र सरकार ने चितरंजन रेलवे इंजन कारखाने सहित देश के अन्य राज्य के कारखानों को भी कॉरपोरेट एजेंसी को देने की योजना बनायी है. आसनसोल के सांसद बाबुल सुप्रियो ने कहा है कि कारखाने के निजीकरण का फैसला श्रमिकों की खातिर किया गया था. बाबुल सुप्रियो की टिप्पणियों के बाद, चितरंजन रेलवे इंजन फैक्टरी के श्रमिकों का आंदोलन लगातार मजबूत हो रहा है. देश भर में निजीकरण के लेकर आंदोलन के साथ-साथ चितरंजन में भी लगातार आंदोलन जारी है.
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इस आंदोलन का एक रूप शुक्रवार की रात देखा गया जहां चितरंजन के पूरे शहर को ब्लैक आउट कर दिया गया. चितरंजन कारखाने के मजदूरों से लेकर उनके परिवार और स्थानीय व्यापारी एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. हर किसी ने अपने घरों, दुकानों की लाइटों को बंद करके पूरे शहर को ब्लैकआउट कर दिया. इसका उद्देश्य केंद्र सरकार को संदेश देना है कि अगर केंद्र सरकार ने अपना विचार नहीं बदला तो चितरंजन रेलवे इंजन कारखाना बचाओ समिति और संयुक्त कार्रवाई समिति आनेवाले दिनों में व्यापक आंदोलन करगी.


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संयुक्त कार्रवाई समिति के संयोजक नेपाल चक्रवर्ती ने कहा की आसनसोल के सांसद को चितरंजन रेलवे इंजन कारखाने के बारे में कोई जानकारी नहीं है. बीते वित्तीय वर्ष में हमारे पास 400 रेल इंजन बनाने का लक्ष्य था. जिसे हमने 402 इंजन बना कर सफलता हासिल की. इस लक्ष्य को पूरा करने के बाद चितरंजन रेलवे इंजन कारखाना ने इस साल हमारे लिए अब 500 रेल इंजनों का निर्माण करने का एक लक्ष्य दिया है. हम उस लक्ष्य को भी पूरा कर लेंगे. फिर भी अगर इस लाभान्वित संस्थान का निजीकरण किया गया तो कारखाने का भविष्य समाप्त हो जायेगा. हम सब केंद्र सरकार के इस विचार की तीव्र निंदा करते हैं. अगर इस निजीकरण प्रस्ताव को वापस नहीं किया गया तो हम सब चितरंजन के श्रमिक एकजुट होकर दिल्ली जाकर अनशन पर बैठेंगे.
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