
Ranchi : झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि विपक्षी ‘महागठबंधन’ ने लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी, जीएसटी और किसानों की समस्याओं को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है.

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मंझोले व्यापारियों और मजदूरों पर जीएसटी की मार
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि गरीबों, किसानों, छोटे और मंझोले व्यापारियों और मजदूरों पर जीएसटी की मार पड़ी है. बेरोजगारी, छंटनी, किसानों का संकट और अन्य मुद्दों को अब उठाया जा रहा है. झामुमो नेता ने कहा, ‘‘ देश भर से किसानों की आत्महत्याओं की रिपोर्ट हैं. बेरोजगार युवकों की आत्महत्याओं की रिपोर्ट हैं, जो एक खतरनाक संकेत है.’’
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बेरोजगार लोग पुलवामा की नहीं, रोजगार की सोंचते हैं
सोरेन से जब पुलवामा आतंकवादी हमले और उसके बाद बालाकोट पर हवाई हमले के बारे में पूछा गया कि क्या इससे लोगों का रुझान भाजपा की तरफ जाएगा, तो उन्होंने जवाब में सवाल दागा, ‘‘क्या आपको लगता है कि दो जून की रोटी जुटाने की मशक्कत कर रहे बेरोजगार लोग पुलवामा के बारे में सोचेंगे या रोजगार की तलाश करेंगे?’’
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2014 में जेएमएम ने दो सीटें जीती थी
उन्होंने लाल कृष्ण आडवाणी, सुमित्रा महाजन, मुरली मनोहर जोशी और करिया मुंडा को टिकट नहीं मिलने की तरफ बजाहिर इशारा करते हुए आरोप लगाया कि भाजपा अपने वरिष्ठ नेताओं को ‘‘अपमानित’’ कर रही है. झामुमो ने 2014 में झारखंड में 14 में से दो सीटें जीती थी. भाजपा को बाकी 12 सीटें मिली थीं. मोदी लहर के बावजूद 2014 में दुमका (अजा) से जीत हासिल करने वाले 75 वर्षीय झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
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गुरुजी ने जितना किया किसी नेता ने उतना नहीं किया
गुरूजी के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन ने जमींदारों और सूदखोरों के खिलाफ संघर्ष से अपना सियासी सफर शुरू किया था. बाद में वह अलग झारखंड राज्य के निर्माण आंदोलन से जुड़े और अनेक बार लोकसभा सांसद बने. अपने पिता के बारे में हेमंत सोरेन ने कहा, ‘‘गुरूजी ने लोगों के साथ संपर्क में रहने के लिए झारखंड का जितना व्यापक सफर किया है, उतना किसी राजनेता ने नहीं किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम हर राजनीतिक लड़ाई जीते हैं और आने वाले दिनों में भी ढेर सारी चुनावी जंग जीतेंगे. हमें अपने संविधान की सुरक्षा करनी है. हम अपने मूल्यों से कभी समझौता नहीं करेंगे.’’
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